पिछले छः वर्षों में जिस तरह से भारत का राष्ट्रवाद अंगड़ाई लेकर खड़ा हुआ है उसने राष्ट्रविरोधी सोच रखने वाली तमाम ताकतों (जो अब कमज़ोरी बन कर रह गए हैं ) पर ऐसा कुठाराघात किया है कि एक तो वे सब बिलबिला कर अपनी केंचुली उतारने पर विवश हो गए हैं और उनके अंदर का सारा ज़हर उनके विषैले फन से बाहर आकर रिस रहा है ,और जैसे ही वे फन उठाते हैं राष्ट्रवाद का एक वार उन्हें कुचल देता है ,

विदेशी चीन की नकली खतरनाक एप्स के प्रतिबंध की बात हो या ,विदेशी मुद्रा नियामक कानून में बदलाव की ,OTT प्लेटफॉर्म्स पर परोसे जा रहे सनातन और राष्ट्रविरोधी सामग्रियों पर कार्रवाई हो या केरल में चर्च द्वारा जमा किए गए अकूत काले धन को पकड़ने की ,जम्मू कश्मीर के 25 ,000 करोड़ के रौशनी भूमि घोटाले में महबूबा ,अब्दुल्ला ,मायनो पर शिकंजा कसने की बात हो या लव जिहाद के नाम पर हिन्दू युवतियों /महिलाओं के कत्ले आम की , सरकार पूरी दृढ़ता से इनका पक्का और स्थाई ईलाज कर रही है।

इसका परिणाम और प्रभाव भी अब धीरे धीरे दिखाई देने लगा है। पिछले एक वर्ष में देश में 18 हज़ार स्वयं सेवी संस्थाओं की दुकानदारी की पूरी दुकानदारी बंद होना , सेना ,सुरक्षा एजेंसियों ,पुलिस को हमेशा कोसने और आतंकियों के साथ खड़े हो जाने वाले एमनेस्टी इंटरनेशनल के भारतीय दफ्तर का बोरिया बिस्तर समेट कर भाग खड़े होने के बाद अब अगला नंबर इस देश , हिन्दू और सनातन विरोधी , झूठ परोसने वाले हफिंगटन इण्डिया के वेब पोर्टल का धंधा भी आज बंद हो गया।

पोर्टल ने अपना रुदाली गान गाते हुए बताया की मोदी सरकार द्वारा ,मीडिया संस्थानों की विदेशी फंडिग कानून को सख्त किये जाने के बाद 17 नवम्बर को सबको नोटिस जारी कर कानून का सख्ती से पालन किए जाने के नए निर्देशों के कारण अब उनका सर्वाइव कर पाना संभव नहीं है , इसलिए दुकान बंद।

जय भारत। जय हिन्द।

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