हिन्दू , बौद्ध और सिख : तीनों धर्म सदियों से आक्रांताओं के अत्याचार झेल रहे हैं । पर शायद ऐसा बहुत कम हुआ है की इनकी आवाज़ भी संयुक्त सभा में उठाई भी गयी हो। पर इस बार भारत ने इन तीनों धर्मों का पक्ष संयुक्त राष्ट्र में रखा है।

भारत के प्रथम सचिव , आशीष शर्मा ने सभा को को सम्बोधित करते हुए कहा “हम यहूदियों , इस्लाम और ईसाई , सबके खिलाफ होने वाले अत्यचारों के विरुद्ध हैं और इसकी भर्त्सना करते हैं, पर संयुक्र राष्ट्र का प्रस्ताव केवल इन्ही तीन अब्राहमिक धर्मों के विरुद्ध अन्यायों की बात करता है। संघ की सम्मानित सभा बौद्धों , हिन्दुओं और सिखों पर बढ़ते अत्याचारों की और ध्यान देना तो दूर इसे मानने को भी तैयार नहीं होता दिख रहा है

बामयान में बुद्ध की प्रतिमा और अफगानिस्तान में सिख गुरूद्वारे पर हमले का जिक्र भारत ने किया है। पाकिस्तान में होते हिन्दुओं पर अत्याचारों को भी भारत समय समय पर उठाता आया है। करतारपुर साहिब गुरूद्वारे का प्रबंधन भी सिखों से लेकर गैर-सिख लोगों को देने पर भी भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज़ की है।

श्री शर्मा ने आगे कहा “दुनिया भर में १२० करोड़ हिन्दू , ५३ करोड़ बौद्ध और ३ करोड़ सिख धर्मों के अनुयायी हैं, फिर भी इन पर होते अत्याचारों पर सभा में बमुश्किल ही बात होती है” उन्होंने कहा की दुनिया में शांति की स्थापना तब तक नहीं हो सकती जबतक इसमें सभी धर्मों के खिलाफ होते हुए अन्यायों को सम्बोधित नहीं किया जाता । सम्बोधन में अहमदिया फिरके पर पाकिस्तान में होने वाले अत्याचारों को भी जगह दी गयी।

ये सम्बोधन भारत के उस रुख को साफ़ करता है जो असलियत में सर्व धर्म समभाव का है। तुष्टिकरण की नीति के चलते अमूमन हिन्दू , बौद्ध और सिख : भारत की पूर्ववर्ती लगभग सभी सरकारों में सिर्फ उपेक्षा के शिकार हुए हैं। ये चलन अब बदल रहा है। भारत अपने सभी धर्मों को बराबर मानकर आगे बढ़ेगा। ये नए भारत की नींव है !!

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