एक तरफ जहां दुनिया में औरतों की आजादी और उनके हक की लड़ाई बुलंदी के साथ लड़ी जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ मजहब की कट्टर बेड़ियों में जकड़े हुए कुछ लोग आज भी औरतों को परदों की चौहद्दी से बाहर नहीं निकलने देना चाहते हैं। भारत के तेज गेंदबाज रहे इरफान पठान ऐसी ही मानसिकता के शख्स लगते हैं, उनकी बेगम सफा बैग सऊदी अरब की रहने वाली है और वह काफी स्वतंत्र विचारों के परिवार से ताल्लुक रखती हैं। सफा बैग एक मॉडल भी रही है मगर अब इरफान पठान की पत्नी बनने के बाद उनकी जो भी तस्वीर मीडिया में दिखती है उसमें वह सर से पांव तक ढकी हुई दिखती हैं। 


इरफान पठान सोशल मीडिया पर अपनी जो भी तस्वीर पोस्ट करते हैं उसमें सफा बैग बुर्का पहनी हुई दिखती है या अपने मुंह को ढके हुए। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि आखिर एक खुले विचारों की लड़की किस कदर अब कट्टरपंथी बुर्के की कैद में रह रही है। जब भी फैंस नाराज होकर इरफान पठान को ट्रौल करते हैं तो इरफान इसे बीवी का निजी फैसला बता देते हैं मगर आज तक उनकी बीवी ने इस बाबत कोई भी बयान जारी नहीं किया है।


सवाल उठाए और पूछे जाने चाहिए कि इरफान पठान जैसी शख्सियत जिनसे देश के युवा प्रेरणा लेते हैं अगर वह अपनी पत्नी को 21वीं सदी में इस कदर बुर्के और कपड़ों के बीच ढक कर रखेंगे तो आखिर समाज में क्या मैसेज जाएगा। तमाम कम्युनिस्ट, लिबरल, बुद्धिजीवी, लुटियन मीडिया,  एन जी ओ वाले कभी भी इस मुद्दे को लेकर चूँ तक नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि बुर्का मुस्लिम आदमियों की सहमति है और उस पर हमला नहीं किया जा सकता, जबकि हिंदू सिंदूर और बिंदी को पुरुष सत्ता का प्रतीक बताकर अच्छे से टारगेट किया जा सकता है।

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