इजरायल और फलस्‍तीन के बीच संघर्ष की वजह यरुशलम में अल-अक्सा मस्जिद मानी जा रही है। एक मस्जिद के पीछे इतना खून खराबा हो रहा है कि मिडिल ईस्ट में कयास लगाए जा रहे हैं कि एक बार फिर वहां जंग हो सकती है। इजरायल और फिलिस्तीन दोनों देशों के बीच 2017 के बाद का यह सबसे बड़ा हिंसक संघर्ष है। दरअसल, मुस्लिम समुदाय अल-अक्सा मस्जिद को मक्का और मदीना के बाद तीसरा पवित्र स्थल मानता है। मुसलमान इसे हरम अल-शरीफ के नाम से भी बुलाते हैं। वहीं, इजरायल के यहूदियों के अलावा ईसाई भी इस जगह को अपने लिए पवित्र मानते हैं।

मुसलमानों का मानना है कि पैगंबर मोहम्मद रात की यात्रा (अल-इसरा) के दौरान मक्का से चलकर अल-अक्सा मस्जिद आए थे और जन्नत जाने से पहले यहां रुके थे। आठवीं सदी में बनी यह मस्जिद पहाड़ पर स्थित है। इसे दीवारों से घिरा हुए पठार के रूप में भी जाना जाता है। यहां पठार में ‘टेंपल माउंट’ भी है, जिसे यहूदी अपने लिए पवित्र मानते हैं। इसके अलावा यहां एक और मंदिर है। इसे भी यहूदी पवित्र मानते हैं।


भारत जैसे देश में जब राम मंदिर के लिए जोरदार मांग उठती थी तो तथाकथित सेक्युलर ठेकेदार कहते फिरते थे कि मंदिर वाली जगह पर कोई स्कूल या अस्पताल बना देना चाहिए तो ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि क्या अब अल अक्सा मस्जिद के मुद्दे पर चल रहे इस विवाद पर भी क्या कोई सेक्यूलर लिबरल बुद्धिजीवी फिलिस्तीन वालों को यह सलाह देगा कि वहां पर अस्पताल या स्कूल बनवा देना चाहिए या इनकी सारी सलाहे केवल हिंदुओं के लिए ही होती हैं?

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