राम और कृष्ण -सनातन संस्कृति वाले देश भारत की रुधिर और आत्मा हैं उनका अपमान पूरे भारत का अपमान है और अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर किसी को भी इनका अपमान करने की अनुमति नहीं दी जा सकती , ये अपराध है जिसके लिए दण्डित किया जाना चाहिए -उच्च न्यायालय इलाहाबाद।
भारत के धर्मनिरपेक्ष ढाँचे और उदार न्याय व्यवस्था नरम दंड व्यवस्था आदि का ही एक कुपरिणाम ये है कि हर दिन कोई भी कहीं भी कभी न सिर्फ हिन्दू देवी देवताओं ,धर्म बल्कि सेना और भारत के प्राचीन शूरवीरों का भी अपमान करने से नहीं डरता हिचकता है। आए दिन ऐसी कोई न कोई घटना , कथन सबके सामने आ ही जाता है।
भगवान राम के प्रति अपमानजनक टिप्पणी करते हुए एक फेसबुक पोस्ट करने के जुर्म गिरफ्तार और पिछले 9 महीने से जेल में रह रहे आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बहुत ही स्पष्ट रूप से रेखांकित कर दिया कि किसी भी तर्क और क़ानून द्वारा प्रदत्त व्यवस्थाओं की आड़ में किसी को कभी भी भारत के इष्टों और सम्माननीय लोगों के अपमान की अनुमति नहीं है। कोई भी सभ्य समाज इस बात की अनुमति नहीं देता है।
अदालत ने कहा कि , किसी विशेष धर्म को मानना या न मानना और यहाँ तक कि किसी भी धर्म को न मानकर आस्तिक होने के बावजूद भी अभिव्यक्ति की आजादी – जिसकी भी एक विधिक सीमारेखा तय है -को पार करके इष्टों , देवी देवताओं , मान्यताओं , पौराणिक चरित्रों के विरुद्ध अपमानजनक उपहासजनक कहना ,लिखना ,प्रदर्शित करना अपराध है और चूंकि कारागार में निरुद्ध किया जाना अंतिम विकल्प है इसलिए आरोपी को सख्त चेतावनी देते हुए जमानत पर छोड़े जाने का आदेश देती है।
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