भ्रष्टाचार “इस शब्द का अर्थ काश भ्रष्टाचार करने वाले को पता होता तो आज समाज किसी और ऊँचाई पर होता याद रखना आज भी श्रीराम जी की पूजा होती है रावण की नही ,माँ दुर्गा को पूजा जाता है राक्षसों को नही ।

श्री कृष्ण की पूजा होती है कंश की नही, तो जहाँ श्री राम है वहाँ रावण क्या हाल होता है जग जानता है ।हमारा राजा अपनी प्रजा के लिए कोई अच्छा कर रहा है तो भी लोगों को मिर्ची लगती है ,नही करता कुछ तो भी मिर्ची लगती है ।

खुद आज तक कोई कार्य नही किया देश के लिए और हमारे राजा पर दोषारोपण कर रहे है ।तुम अपना तो माचिस की तिल्ली लगा कर विदेश घूमने चल दिए ।

जो दिन रात देश के लिए कार्य कर रहे है उनकी सराहना तो दूर उल्टा बेकार की बातें करके लोगों को भड़का रहे है । इस बार का राजा तुम्हारे हाथों की कठपुतली जो नही है इसलिए तिलमिला रहे है । तुम लोगों की बातों का जवाब देने के लिए हम जनता ही काफ़ी है (हम राजा की प्रजा है ) कटाक्ष का जवाब कटाक्ष से ही मिलेगा ।

आज तक क्या कार्य किया है देश के लिए खुद तुम जब परिपक़्व हो जाओ तब आना मैदान में तब देंगे हमारे राजा जवाब तुम्हारे अभी तो हम प्रजा ही काफ़ी है और हाँ सपने देखना भूल जाओ राजा की गद्दी पर राजा ही फबता है तुम्हारा वही हाल है -“वो कहते है ना बिल्ली को सपनो में भी छिछड़े नज़र आते है “ एक और सटीक बैठता है तुम पर गौर से सुनना -“खिसियानी बिल्ली खम्मबा नोचे” नोचते रहो नाखून घिस जाएँगे खम्बा अडिग रहेगा कितना भी एड़ी चोटी का ज़ोर लगा लो ।

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