जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) की कमान पहली बार किसी महिला को सौंपी गई है। प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुडी को जेएनयू की कुलपति बनाया गया है। उन्होंने निवर्तमान वीसी जगदीश कुमार की जगह ली है। वह यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली महिला कुलपति हैं। इससे पहले वे महाराष्ट्र के सावित्रिबाई फुले विश्वविद्यालय में VC के पद पर थीं।
पुणे यूनिवर्सिटी में पॉलिटिक्स और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन पढ़ाने वाली प्रोफेसर पंडित का जन्म रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुआ है। उनकी शुरुआती पढ़ाई चेन्नई कॉलेज से हुई है . बाद में उन्होंने 1990 में JNU से इंटरनेशनल रिलेशन में पीएचडी की और 1995 में स्वीडन के उप्साला विश्वविद्यालय से पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट में पोस्ट-डॉक्टरेट डिप्लोमा भी प्राप्त किया। वे हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, तमिल जैसी छह भाषाओं में दक्ष हैं साथ ही वे कन्नड़, मलयालम और कोंकणी भाषा भी समझ लेती हैं।
बता दें आपको एम जगदीश कुमार का कार्यकाल पिछले साल पूरा हो गया था। इसके बाद से वह कार्यवाहक कुलपति के तौर पर जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे थे। जगदीश कुमार को अब UGC का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
इधर प्रोफेसर पंडित के कुलपति बनने के बाद उनके कुछ पुराने ट्वीट शेयर हो रहे हैं। एक ट्वीट 2020 का है जिसमें उन्होंने जेएनयू पर टिप्पणी करते हुए कहा, “जेएनयू के लूजर्स जिन्होंने अपना आपा खोया। ऐसे कट्टरपंथी नक्सली समूह को कैंपस से बैन किया जाना चाहिए। जामिया और सेंट स्टीफन जैसे कम्युनल कैंपसों की फंडिंग रुकनी चाहिए. इतना ही नहीं उनके ट्वीट को देखकर पता चलता है कि कैसे डॉ शांतिश्री हिंदू धर्म के लिए मुखर होकर बोलती रही हैं। उनके ट्वीटर हैंडल पर आपको हिंदू सभ्यता, संस्कृति और मंदिरों से जुड़े ऐसे कितने ही ट्वीट मिल जाएंगे . जिसमें उन्होंने इतिहास के साथ खिलवाड़ करने वालों से अपने ट्वीट में सवाल किए हैं।
डॉ शांतिश्री ऐसे समय में JNU की कमान संभाल रही हैं जब ये यूनिवर्सिटी देश विरोधी वामपंथी गतिविधियों का अड्डा बना दिया गया है. हर मौके पर टुकड़े-टुकड़े गैंग देश में माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है .
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