किसी देश का कानून वहाँ के अपराधियों को सजा देने,आम जनता के अधिकारों की रक्षा करने व अपराधियों में भय पैदा करने के लिए होता है लेकिन हमारे देश में ऐसा नहीं है,यहाँ अपराधी इसी कानून का फायदा उठाकर जीवन भर ऐशो-आराम से रहता है।सच तो यह है कि सिब्बल,चिदंबरम जैसे लोग जब चाहते हैं तब कानून का मजाक उङाते हैं,इनको जज साब भी कोई “कुरान बांटो” जैसा तुगलकी फरमान नहीं सुना पाते।सच तो यह है कि आरोपी जब सजा के करीब पहुंचता है,उससे पहले ही कानून उसे जमानत दे चुका होता है।इस तरह से अपराधियों के हौसले बुलंद रहते हैं वे एक के बाद एक अपराध करते रहते हैं |इस देश में सारे कानून-कायदे सिर्फ आम जनता के लिए है फर्ज़ी गांधी परिवार,सांसद-विधायक,चिदंबरम के लिए नही।ऐसे में देश की इस व्यवस्था को लेकर कुछ सवाल खङे होते हैं-
1)इस तरह की व्यवस्था का क्या औचित्य है जिसमें आरोपी जमानत पर बाहर आराम से घूमता है व आरोप के सारे सबूत मिटाता जाता है ?
2)आरोपी अगर पैसे वाला हो तो उसका एक बाल भी बाँका नहीं होता है,कानूनी अधिकारी भी उसका कुछ नहीं कर पाते जबकि दूसरे पक्ष को अपना सब कुछ खोना पड़ता है,दांव पर लगाना पड़ता है (उदाहरणार्थ उन्नाव की घटना इत्यादि)।
3)जमानत जैसे प्रोविजन का दुरुपयोग क्यों ?
4) अंग्रेजों के बनाए हुए कानून हम अभी तक क्यों अपने पर थोपे चले आ रहे हैं जबकी अंग्रेजों को गए 70 साल से ज्यादा हो गए हैं?
मुझे लगता है आज ऐसे कानूनों को बदलने की जरूरत है,१८६० की आईपीसी धाराओ में सुधारों की आवश्यकता है |
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