बंग्लादेश में बीते कई दिनों से दुर्गा पूजा पर चल रही है हिंसा अब हिंदुओं के खिलाफ वीभत्स रूप ले चुकी है। अबतक इन दंगों में तकरीबन 4 लोगों के मरने की आशंका है तो वहीं दूसरी तरफ 200 के करीब लोग घायल हुए हैं। इतने बड़े देश में जिस तरीके से अब तक कोई भी 2 शब्द नहीं बोला है, आखिर पूछा जाना चाहिए कि क्या मरने वाले हिंदू थे तो क्या उनकी मौत पर किसी भी तरह के दो शब्द नहीं निकलेंगे? 


वहीं दूसरी तरफ यदि किसी संप्रदाय विशेष के किसी भी शख्स को एक भी खरोच आ गई होती तो अबतक मजहब खतरे में आ जाते। सोशल मीडिया पर उनके बचाव के लिए मुहिम चलने लग जाती , मगर चूंकि इन दंगों में मरने वाला हिन्दू है इसलिए इनकी जघन्य हत्या पर न कोई NGO बोलेगा,न कोई सरकार बोलेगी और न ही कोई #Trend चलेगा।


जिस तरीके से हिंदुओं की हत्या पर एक शातिर चुप्पी की चादर ओढ़ ली जाती है , वो अपने आप में दर्शाता है कि यदि मरने वाले हिन्दू हैं तो उनके निधन पर कोई एक शब्द नहीं बोलेगा..!सवाल पूछा जाना चाहिए कि आखिर कबतक मरने वाले हिंदुओ को ये सहन करना होगा? और सवाल उनसे भी पूछा जाना चाहिए जोकि जिंदा हैं कि आखिर कबतक अपने ही लोगों की मौत पर सुविधा की चादर तानकर आप सोते रहेंगे।

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