कपिल मिश्रा जी के अथक प्रयासों से हिन्दू संगठनों की एकता और एक जुटता से वामपंथी मीडिया में खलबली मची हुई है और उसने इस मुहिम के खिलाफ अलग अलग प्रपंचों के अलावा कट्टरपंथियों के द्वारा फैलाये जा रहे ‘लव जिहाद’ को भी हिन्दुओं के द्वारा रची गयी एक मनगढंत कहानी तक बताना शुरू कर दिया है। इन सबके बीच ‘Scroll’ ने भी एक लेख में कपिल मिश्रा द्वारा हिन्दू इकोसिस्टम बनाने की घोषणा को समाज के लिए खतरनाक तक घोषित कर दिया। साथ ही इसके लिए उन पर समाज में वैमनस्यता फैलाने का आरोप तक लगाने पर उतर आया है।
‘Scroll’ और इन लिबरल गैंग इस बात से परेशान हो उठे हैं और सोच रहे हैं कि आखिर यह हिन्दू इकोसिस्टम बनाने के पीछे उनका उद्देश्य क्या है ? जबकि कपिल मिश्रा जी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि ये आम आदमी के हितों से जुड़े हर मुद्दे पर परस्पर सहयोग के लिए काम करेगा चाहे वह किसी की मूलभूत सुविधायें हो अथवा कोई अन्य प्रशासनिक समस्या हो, साथ ही इसकी सारी प्रक्रियाएँ संवैधानिक रूप से वैध होंगी। और क़ानूनी दायरे में होंगी। ये आपस में सहयोग का इकोसिस्टम है तो वामपंथी मीडिया इसके विरोध में खड़ा हो गया है जबकि इसके लिए कपिल मिश्रा जी की सराहना करनी चाहिए थी।
दरअसल हिन्दू इको सिस्टम में उन मुद्दों को शामिल किया गया है जो जनहित से जुड़े हैं और सामाजिक अपराधों को नियंत्रित करते हैं साथ ही भारतीय लोकतंत्र में इन सामाजिक कार्यों को मान्यता तो है ही इसके अलावा यह भारत की संस्कृति भी है पर वामपंथी मीडिया को इन सभी मुद्दों से परेशानी है, क्योंकि इनकी पूरी विचारधारा ही इन मुद्दों के खिलाफ हैं। ये सब तो समाजसेवा, महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और पशु अधिकार के अंतर्गत आते हैं। जबकि यह गैंग खुद को इन्हीं सब मुद्दों के लिए लड़ने का दावा करता है और कोई और अगर इन मुद्दों के निराकरण हेतु मुहिम चला रहा है तो यह लोग समर्थन के बजाय इससे चिढ़ रहे हैं
दरअसल इनका मानना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इन सबके आड़ में अपना एजेंडा चला रहा है, ये कहते हैं कि संघ से जुड़े लोग खुद तो सामने नहीं आते जबकि रहस्यमय तरीके से भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लक्ष्य पर काम कर रहे हैं। अब तो देश के बुद्धिजीवियों को इनसे संवाद जरूर करना चाहिए कि अगर कोई संगठन बाढ़, अकाल, महामारी और अन्य आपदा की स्थिति में निःस्वार्थ भाव से बिना सरकारी सहायता के कर रहा है तो इन सबसे उनको परेशानी क्यों है?
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