ऐसा लग रहा है जैसे सनातनी हिन्दू पर्व त्यौहारों पर उत्पाद कंपनियों द्वारा एक निश्चित एजेंडे के तहत जानबूझ कर इन्हें विवादित करने की होड़ सी लगी हुई है . एक मामला सामने आता है , लोग विरोध करते हैं और कंपनी और उसके लोग माफी मांगते हैं . अभी मामला शान्त भी नहीं होता इतने में दूसरा ऐसा ही मामला सामने आ जाता है .
डाबर कंपनी ने अपने नए विज्ञापन में करवाचौथ पर्व के रीति रिवाजों का फिल्माकंन करते हुए एक जोड़े को दिखाया हुआ है , लेकिन रुकिए जोड़ा पति पत्नी का ही मगर समलैंगिक है . यानि दो महिलाएं आपस में एक युगल दंपत्ति की तरह अपनी माँ या सास के साथ करवाचौथ की परंपरा को निभा रही हैं .
कमाल की सोच है इस विज्ञापन बनाने वालों की , एक तरफ तो समलैंगिकता जैसी प्रवृत्ति जिसे भारतीय समाज में अभी व्यापकता और मान्यता नहीं मिली है यदि दो युवतियों ने इस विकल्प को चुना भी है तो फिर वे करवाचौथ जैसा पारंपरिक त्यौहार क्यों मना रही हैं
कमपनी की तो जो लानत मलामत हो ही रही है लेकिन इधर कुछ लोग जाने किस एजेंडे से प्रेरित होकर , हर हिन्दू पर्व त्यौहार को बदनाम करने के लिए उसमें झूठ और भ्रम का मसाला लगा कर उसे गलत तरीके से दुनिया के सामने रखने का प्रयास भी कर रहे हैं .
इसके लिए टिव्वर पर बाकयदा ट्रेंड चलाकर #truthofkarwachauth हैश टैग के साथ एक घृणा मुहिम चलाई जा रही और जोर शोर से इसे आगे बढ़ाया जा रहा है . देखिए कैसे इसमें करवाचौथ के बारे में उल्टा सीधा बोला लिखा जा रहा है . जो महिलाएं करवाचौथ का व्रत रखती हैं वे अगले जन्म में गधी बनेंगी . और भी जाने क्या क्या उल जलूल कहा जा रहा है ।
बाबा रामपाल नामक एक छद्मवेशी और उसके चेलों चपाटों द्वारा हर बार हिन्दू पर्व के समय इस तरह के अपमानजनक हैश टैग के साथ एक घृणा मुहिम चला कर पर्व त्यौहार मनाने वालों को कोसा जाता है और अपशब्द कहे जाते हैं .
हद तो ये है किया} ये है कि ये सब न तो सरकार और उनकी नियामक संस्थाओं को दिखता है और रात दिन अपनी चौकिदारी से लोगों के अकाउंट सस्पेंड और डिलीट करने वाले ट्विट्टर की टीम को . ये बहुत ही निंदनीय और चिंताजनक बात है .
कोई भी सभ्य समाज कभी भी किसी को , अपनी सभ्यता , संस्कृति ,परपम्परों का उपहास नहीं उड़ाता , उसका अपमान नहीँ करता बल्कि उसमें शामिल होकर उसे संरक्षित और संवर्धित करता है . अफसोस कि आज जब दुनिया में बहुत सारे लोग मज़हबी उन्माद में पूरी दुनिया को एक ही रंग में रँगने को उद्धत हैं तो ऐसे में एक भारत और भारतीय हैं जो अपने बचे हुए को भी नहीं बचा पा रहे हैं .
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