कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में कुछ महीने पहले ही हिजाब को लेकर पूरे राज्य में बवाल मचा था. लेकिन एक बार फिर कर्नाटक में हड़कंप मच हुआ है. दरअसल इस बार कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश मुस्लिम संगठनों के निशाने पर हैं। रिपोर्ट के मुताबिक शैक्षणिक संस्थानों में गणेश चतुर्थी का समारोह मनाने की अनुमति दिए जाने को लेकर अब मुस्लिम संगठन उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। वक्फ बोर्ड ने इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए शैक्षणिक संस्थानों में नमाज पढ़ने के लिए अलग कमरा और मुस्लिम त्योहारों को मनाने की अनुमति देने की मांग की है। वहीं कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया यानि CFI के प्रदेश अध्यक्ष आठवुल्ला पुंजालकट्टे ने मंत्री के इस्तीफे की मांग की है.
वहीं कट्टरपंथी संगठन पीएफआई की छात्र शाखा CFI ने मंत्री के फैसले को एकतरफा और पक्षपातपूर्ण बताया है। ट्वीट कर कहा है, “शिक्षा मंत्री को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान देना चाहिए न कि सांप्रदायिक नीतियों और बयानों पर।”
Campus Front of India Karnataka strongly Condemns the unilateral biased statement of @BCNagesh_bjp, Education Minister should focus on the development of quality education and infrastructure, not on Communal policies & statements.
We demand immediate resignation. #ResignBCNagesh
— Campus Front of India – Karnataka (@CampusFrontKar) August 18, 2022
दरअसल, बेंगलुरु में गुरुवार 18 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नागेश ने कहा था, “स्कूलों को हर साल की तरह इस साल भी गणेश चतुर्थी मनाने की पूरी आजादी है। यह एक गैर-धार्मिक आयोजन है, जो समाज को एकजुट करता है।” उन्होंने स्कूलों में गणेश चतुर्थी मनाने की अनुमति देते हुए कहा कि देश की आजादी से पहले से भी स्कूलों में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे। साथ ही उन्होंने स्कूलों में अन्य धार्मिक गतिविधियों की अनुमति देने से इनकार किया।
शिक्षा मंत्री ने कहा था, “गणेशोत्सव इस देश में स्वतंत्रता आंदोलन के हथियार के रूप में शुरू किया गया था। इससे पहले गणपति पूजा घरों के अंदर की जाती थी। बाल गंगाधर तिलक के आह्वान पर स्कूलों, छात्रावासों और सार्वजनिक स्थानों पर गणपति उत्सव शुरू किया गया था। इस तरह की परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही हैं और इसे रोकने का कोई सवाल ही नहीं है। हमने धार्मिक प्रथाओं के लिए कोई नई अनुमति नहीं दी है।”
लेकिन मुस्लिम संगठनों को यह रास नहीं आ रहा। वे इसे हिजाब मामले में हाई कोर्ट के फैसले से जोड़कर देख रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबाकि कर्नाटक वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शाफी सादी ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए कई मांगे रखी हैं। उन्होंने मुस्लिम त्योहार मनाने की इजाजत देने और छात्रों को हर रोज नमाज अदा करने के लिए एक अलग कमरा देने की मांग की है. उनका कहना है कि सभी धर्म के छात्रों को समान अवसर दिया जाना चाहिए। बच्चों के लिए धर्मों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। नैतिक शिक्षा की नींव मजबूत करने के लिए छात्रों को मजहबी पाठ पढ़ाया जाना चाहिए।
वहीं, श्रीराम सेना के प्रमुख प्रमोद मुतालिक ने वक्फ बोर्ड के मांगों की निंदा करते हुए सरकार से इसे खारिज करने की मांग की है। मुतालिक ने कहा, “आज वे स्कूलों में नमाज की अनुमति मांग रहे हैं, कल शुक्रवार को छुट्टी की मांग करेंगे। स्कूलों के इस इस्लामीकरण की अनुमति सरकार को नहीं देनी चाहिए।”
हिंदु संगठनों की ये चिंता वाजिब भी है. क्योंकि हाल के दिनों में कुछ राज्यों में खास समुदाय के लोग अपने नियम लागू कर रहे हैं वो भी बिना किसी सरकारी आदेश के .
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