देश को भले ही द्रौपदी मुर्मू जी के रूप में पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति मिल गईं हो लेकिन अब भी देश में आदिवासी समाज के लोग हाशिये पर ही हैं. लेकिन सबसे बदत्तर हालत में आदिवासी समाज की महिलाएं हैं. ऐसी ही एक बदसूरत तस्वीर सामने आयी है झारखंड के गढ़वा जिले से जहां जिले के वन विभाग की दबंगई सामने आई है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यहां सालों से खेती कर रहे जनजातीय समुदाय के लोगों की तरफ से आवेदन दिए जाने के बाद भी अब तक उन्हें वन पट्टा नहीं दिया गया है. अब यहां की जमीन पर खेती करने पर वन विभाग के गार्ड ने कोरवा आदिम जनजाति महिलाओं की जमकर पिटाई कर दी है, लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि इसमें एक गर्भवती महिला भी थी. ग्रामीणों का कहना है कि वो सालों से वन भूमि पर खेती करते आ रहे हैं.

इधर मामला जब सुर्खियों में आया तो राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गढ़वा में खेती करने पर कोरवा जनजातीय गर्भवती महिला के साथ मारपीट के मामले में जिला उपायुक्त को जांच कर कार्रवाई का आदेश को दिया है. सीएम के आदेश के बाद गढ़वा उपायुक्त ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सोशल मीडिया के जरिए जानकारी दी गई कि झारखंड के गढ़वा जिले में खेती करने पर कोरवा जनजातीय गर्भवती महिला को वन विभाग ने गार्ड से पिटवाया है. बताया गया कि सालों से खेती कर रहे जनजातीय समुदाय के लोगों के खेती करने पर वन विभाग के गार्ड ने कोरवा आदिम जनजाति की गर्भवती महिला की जमकर पिटाई कर दी है.

इधर इस मामले को लेकर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता रघुवर दास ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि ”झारखंड में अब ये आम हो गया है. अबुआ राज के नाम पर राजनीति करने वाली सरकार में आदिवासी समाज का सबसे ज्यादा शोषण हो रहा है. हिम्मत वाली सरकार है. अपराधियों को संरक्षण देने वाली सरकार है.”

विडंबना देखिए ये घटना उस राज्य में घटी है जिस प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद आदिवासी समुदाय से आते हैं.

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.