जम्मू कश्मीर में लगातार हो रही हत्याओं के कारण पूरे देश में चिंता की लहर है . स्थिति इतनी ज्यादा तनावपूर्ण है कि गाहे-बगाहे यह चर्चा भी चल पड़ी है कि कहीं कश्मीर में 1990 जैसे हालात फिर से पैदा ना हो जाएं। 90 के दशक के सेम पैटर्न पर पहचान और धर्म देखकर कश्मीर में आतंकी लोगों की हत्याएं कर रहे हैं और अब तक इन हत्याओं में 11 लोगों की मौत हो चुकी है । गृह मंत्रालय में इस बाबत बेशक बैठक भी हुई है सुरक्षाबलों को निर्देश भी दिए गए हैं मगर हत्याओं का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है और 1 तरीके से टेरर को फिर से कश्मीर में लाने की कोशिश की जा रही है ताकि बाहर से आ रहे लोगों में कश्मीर के नाम पर दहशत कायम हो सके।

जम्मू-कश्मीर में स्थिति तनावपूर्ण है क्योंकि आतंकवादी क्रूर हमलों में आम नागरिकों को लगातार निशाना बना रहे हैं। कई पीड़ितों के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक या गैर-स्थानीय होने के कारण, इन हमलों ने नागरिकों में भय पैदा कर दिया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना द्वारा पिछले एक महीने में कम से कम 11 हत्याओं के कारण आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई है।

पिछले सप्ताह हुए हमलों के सिलसिले में 700 से अधिक लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था। सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए कई ऑपरेशन भी शुरू किए हैं। ऑपरेशन के दौरान कई सैनिक भी शहीद हुए हैं। सुरक्षाबलों के व्यापक अभियान के बावजूद कश्मीर में हत्याओं का सिलसिला रुक नहीं रहा है, देखना होगा कि जमीनी स्तर पर हालात को किस कदर काबू करते हुए सुरक्षा बल आतंकियों के हौसलों को पस्त करते हैं।

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