जम्मू-कश्मीर में जिस तरह से बरसों से अलगाववादी ताकतों का वर्चस्व रहा और उसके चलते कश्मीरी नौजवान नई दिल्ली से दूर रहा वह समय अब बीते जमाने की बात हो चुकी है। 2014 में जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आई तभी से जम्मू कश्मीर को लेकर मोदी सरकार का नजरिया एकदम स्पष्ट रहा। ‘जहां बलिदान हुए मुखर्जी वह कश्मीर हमारा है’ के नारे को साकार करते हुए मोदी सरकार ने घाटी में शांति और सौहार्द के स्तंभों को मजबूत किया।


अब जिस तरह से मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को कश्मीर से हटाया है उस समय अलगाववादियों के द्वारा तमाम रेत के पहाड़ बनाए गए कि कश्मीर में खून की नदियां बह जाएंगी मगर यह मोदी सरकार का मैनेजमेंट ही था कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू हुआ और एक गोली तक नहीं चली।  पाकिस्तान और कट्टरपंथी ताकतों के जख्मों पर मरहम कुछ इस तरह भी लगा कि अभी हाल ही में हुए चुनावों में बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में बड़ी विजय हासिल की। 


अब कश्मीर में जमी हुई बर्फ के साथ-साथ हिंदुस्तान का वर्चस्व भी जम रहा है, बड़ी संख्या में घाटी का आवाम बीजेपी का स्वागत कर रहा है और देश की मुख्यधारा में खुद को जोड़ रहा है। कश्मीर की दीवारों पर बर्फ से लिखा हुआ ‘आई लव इंडियन आर्मी’ दर्शाता है कि कश्मीर से अलगाववादियों के दिन अब लद गए हैं।

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