मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति देश में पिछले 70 सालों से चली आ रही है और इसी राजनीति का परिणाम है कि इसने देश की सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों को निचले स्तर तक गिरा दिया है । देश में एक तरफ कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर जारी है, तो दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल जैसे नेता इस मौके को तुष्टीकरण की वोटों के नाते भुना रहे हैं। कोरोना में सबसे ज्यादा दिल्ली के हालात खराब हैं, विपदा में दिल्ली को संभालने के बजाय दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने विशेष वर्ग को खुश करने के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण एक बार फिर शुरू कर दिया है, दरसअल कोरोना से लड़ते हुए जान गंवाने वाले डॉक्टर अनस के परिवार को केजरीवाल ने एक करोड़ रूपये का चेक सौंपा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, दिल्ली में कोविड की दूसरी लहर से लड़ते हुए अबतक लगभग 100 डॉक्टरों की जान चली गई है, लेकिन एक करोड़ रूपये का चेक सीएम केजरीवाल ने सिर्फ डॉ अनस के परिवार को सौंपा है। आखिर केजरीवाल बताएं कि कोरोना से लड़ते हुए जिन 99 डॉक्टर ने अपनी जान गवाई है उनको केजरीवाल एक करोड रुपया देने क्यों नहीं गए? डॉक्टर अनस के परिवार को एक करोड रुपए दिए जाने का हम समर्थन करते हैं मगर क्या दूसरे 99 डॉक्टर को उनका नाम और धर्म देखकर मदद नहीं की गई है यह सवाल भी हम पूछते हैं।
बाकि 99 डॉक्टरों चाहे वो डॉक्टर संजीव, डॉ एके रावत हों, डॉ अश्विनी कुमार हों, तमाम डॉक्टरों ने कोविड से लड़ते हुए अपनी शहादत दे दी, उन परिवारों की केजरीवाल को चिंता नहीं हुई। केजरीवाल को डॉ अनस मुजाहिद को छोड़कर अन्य डॉक्टरों के परिवार की चिंता नहीं हुई, उनकी सुध लेने तक नहीं गए।
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