इन दिनों कोविड को लेकर देश भर में चल रहे हवन को निष्पक्ष सेकुलर इको सिस्टम का मीडिया अंध विश्वास दिखा रहा है। फिर तो मजार पर चादर चढ़ाने से लेकर, प्रत्येक शुक्रवार को सड़कों पर उमरी भीड़ की नमाज़ से लेकर, चर्च की प्रार्थना तक सारी बातें अंधविश्वास की श्रेणी में ही आएंगी, क्योंकि ईश्वर के प्रति व्यक्ति का विश्वास कथित विज्ञान सम्मत तो नहीं है..वह आस्था सम्मत है।
इस बेसिक बात को The Wire, India Today, Print, एनडीटीवी के पत्रकार रवीश पांडेय, कमाल खान और उनके मालिक जेम्स रॉय प्रणॉय समझते तो हैं लेकिन बात जब हिन्दु विश्वास की हो तो उनके अंदर का निष्पक्ष और सेकुलर पत्रकार जाग जाता हैं।
यदि अंधविश्वास को लेकर वे समाज में जागरूकता फैलाना चाहते हैं तो टेरेसा को मिली संत की उपाधि से बड़ा फ्रॉड क्या होगा? जिसमें कोई टेरेसा के स्पर्श मात्र से ट्यूमर से मुक्त हो गया। एनडीटीवी का कोई साहसी पत्रकार टेरेसा के अंधविश्वास पर बात करने को तैयार क्यों नहीं है? कब तक हिन्दुओं को टारगेट करते रहेंगे। ऐसा लगता है कि भारत के अंदर हिन्दुओं ने मानों बहुसंख्यक होकर ही कोई अपराध कर दिया है।
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