लालू की लालटेन से जलता बिहार
क्या ये डिजाईनर पत्रकार हम बिहारियों का दर्द समझ सकते हैं?
क्या ये डिजाईनर पत्रकार हम बिहारियों का दर्द समझ सकते हैं?
जब से तेजस्वी यादव को अपने पिता के कार्य काल में हुए ‘भूल-चूक’ के लिए माफ़ी मांगते हुए सुना है, तब से मन बहुत अशांत है. लालू यादव का पंद्रह साल का वह भयावह कार्यकाल हम बिहारियों के लिए सबसे पीड़ादायक रहा है। आप सब को क्या क्या बताएं और कहाँ से शुरू करें इसी ओहापोह में लगे हैं.. लेकिन हिम्मत करके धीरे धीरे आपको सब बताएँगे और याद दिलाएंगे।
उन दिनों आमतौर पर लोग किसी भी प्रकार का पैसे का खर्च दिखाने से बचते थे, कार भी बहुत साधारण या कम लागत वाला खरीदते थे और महिलाएं भी आभूषण नाम मात्र पहनती थी। ऐसा करने के पीछे एक मात्र कारण खुद को लालू के गुंडों की नजरों से बचा कर रखना था | मुझे अभी भी याद है की किसी सम्बन्धी के यहाँ से लौटने समय अँधेरा हो रहा हो तो माँ अपने गले की सोने की चेन उतार कर उसी सम्बन्धी या मित्र के यहाँ छोड़ देती थी ये बोल कर की दिन में किसी को भेज कर मंगवा लेंगी क्योंकि एक सोने की चेन के लिए किसी भी प्रकार का हमला हो सकता था। शादी ब्याह की खरीददारी भी गुप्त रूप से या फिर अलग अलग जगहों से की जाती थी ताकि आप लालू के किसी गुर्गे की नज़र में फिरौती के लिए न आ जाएँ। विवाह के बाद अगर विदाई किसी दूर क्षेत्र में होनी हो, तो दुल्हन के सारे गहना जेवर आभूषण उतार कर अलग अलग पेटी /बक्सा और गाड़ियों में रखवा दिए जाते थे ताकि अगर डकैती हो भी तो सारे गहने एक साथ न चले जाएँ।
एक किस्सा याद आता है, एक बार मेरे मौसा जी ने कार खरीदने की इच्छा जताई। हम सारे भाई बहन कूद पड़े उस समय की टॉप गाड़ियों की लिस्ट के साथ और अपने पसंद की फरमाईश करने लगे। जब कार आयी तो हम सब देख कर दंग और दुखी थे क्योंकि मौसा जी कबाड़ी वाले के यहाँ से पुरानी फ़िएट कार लेकर आये थे और हम बच्चों की नाराज़गी पर बोले – “नया बढियाँ कार ले लेब, आ ललुआ के गुंडवा सब उठा लीहें स तब का करब” (नया कार ले लेंगे और लालू के गुंडे मुझे उठा लेंगे तब मैं क्या करूँगा? जीवन में एक सामान्य ख़ुशी की भी कोई जगह नहीं थी लालू यादव के राज में।
डिजाईनर पत्रकारों को लालू के साथ सेल्फी लेते देखती हूँ या उनके बात करने के अंदाज़ पर ठिठोली करते देखती हूँ तो मन आक्रोश से भर जाता है। एक ऐसा मुख्यमंत्री जिसने पंद्रह साल अपने कार्यकाल में बिहार की प्रतिष्ठा लूटने के अलावा कुछ भी नहीं किया हो, उस मुख्यमंत्री की पार्टी को हम बिहारी कैसे माफ कर सकते हैं? तेजस्वी यादव, आप भूल गए होंगे, हम नहीं।
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