देश में लगातार एक पैटर्न बना कर सुनियोजित तरीके से हिंदू लड़कियों की हत्या की जा रही है। ये वो मामले हैं जो हत्या के कारण सुर्खियों में आ जाते हैं मगर क्या लाखों ऐसे हिंदू लड़कियां नहीं होंगी जो डर, झूठ और फरेब की इस जाल में फंसकर अपना मुंह नहीं खोल रही हैं।

देश के शहरों से जिस तरह नाम बदलकर हिंदू लड़कियों से दोस्ती, उनका शोषण, जबरन निकाह,धर्मांतरण और हत्या करने की खबरें आ रही हैं, वह दिखाता है कि यह कार्य संगठित तरीके से हो रहा है। इसमें एक निश्चित पैटर्न है व समुदाय की मौन सहमति है। बड़ा सवाल ये है कि वे विद्वान कहाँ हैं, जो लव जिहाद मानते नहीं थे?

ऐसे में लव जिहाद के खिलाफ एक मुकम्मल कानून बनाने की मांग जोर पकड़ रही है और पूरे देश में खुलकर इस मुद्दे पर बहस होनी चाहिए कि आखिर क्यों हिंदू लड़कियों को सुनियोजित पैटर्न के तहत फसाया जा रहा है। सामने निकल के आना चाहिए उन तमाम लड़कियों को जो किसी डर, झिझक व लाज के कारण सामने नहीं आ रही हैं।

मोदी सरकार के आने से पहले तमाम जेएनयू छाप बुद्धिजीवी कम्युनिस्ट प्रोफेसर कहते थे कि लव जिहाद जैसा कोई शब्द अस्तित्व में नहीं है और यह संघ परिवार की एक काल्पनिक अवधारणा है। मगर जिस तरीके से मामले सामने आए हैं इसके बावजूद कांग्रेस कम्युनिस्ट गैंग में से किसी ने भी मुंह नहीं खोला है और सबसे बड़ी बात समुदाय विशेष के तमाम मौलवी मुफ्ती उन युवकों के खिलाफ फतवा जारी क्यों नहीं करते हैं जो निर्दोष हिंदू लड़कियों की हत्या कर देते हैं। इन सब की मौन चुप्पी बताती है कि इस मिशन में यह सब किस तरह एकजुट हैं।

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