इस्लामी आतंकवाद के समानांतर देश में बसे हुए कुछ घृणित मानसिकता के लोगों ने ‘सैफरन टेरर’ नाम का शब्द पिलाने की कोशिश की और इसी के तहत मालेगांव ब्लास्ट केस में कई हिंदू नेताओं के नाम को सामने किया गया। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह समेत कई लोगों ने ‘सैफरन टेरर’ शब्द को खूब चलाया , यही नहीं मुंबई हमलों तक में आर एस एस की साजिश को बताया गया। मगर जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे इन लोगों के झूठ और नफरत का पर्दाफाश होता गया अब ऐसा ही कुछ मालेगांव ब्लास्ट केस में हुआ है। 


महाराष्ट्र 
के मालेगांव ब्लास्ट के एक चश्मदीद ने स्पेशल NIA में कोर्ट में एक सनसनीखेज खुलासा करके सभी को चौंका दिया है। गवाह ने कहा कि महाराष्ट्र एटीएस ने उस पर CM योगी आदित्यनाथ समेत आरएसएस के 5 नेताओं को फंसाने का दबाव बनाया था, वहीं मुंबई पुलिस के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह उस समय ATS के अतिरिक्त आयुक्त के पद पर तैनात थे, चूंकि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए इस गवाह का बयान एटीएस ने सीआरपीसी की धारा 161 के तहत ऐसे समय में दर्ज किया था, जब इस मामले की जांच एनआईए के हाथ में नहीं थी। 

गवाह ने कोर्ट को बताया कि परमबीर सिंह और राव नाम के एक पुलिस अधिकारी ने उन पर योगी आदित्यनाथ और चार अन्य RSS नेताओं इंद्रेश कुमार, स्वामी असीमानंद, काका जी फंसाने के लिए दबाव बनाया था। इसके अलावा एक अन्य नाम देवधर जी का नाम लेने का दबाव बनाया गया। उस दौरान उन्हें एटीएस के मुंबई और पुणे कार्यालयों में अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था और काफी धमकाया जा रहा था कि अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उन्हें रिहा नहीं किया जाएगा और अन्य आरोपियों के समान ही गंभीर नतीजे भुगतने होंगे

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