उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण का दंगल बेहद धमाकेदार दिख रहा है. पूर्वांचल की सीटों पर 7 मार्च को वोट डाले जाएंगे. आखिरी चरण के लिए तमाम पार्टियों ने पूरे दमखम के साथ प्रचार किया. लेकिन इस प्रचार प्रसार के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जो कल तक दूसरों के लिए ‘खेला होबे’ बोलते थकती नहीं थी लगता है वाराणसी में उनके साथ खुद ही खेला हो गया. दरअसल ममता बनर्जी समाजवादी पार्टी के प्रचार करने वाराणसी पहुंची थी. लेकिन यहां तो लगता है उन्होंने सपा का प्रचार करने के बदले खुद का प्रचार ज्यादा कर दिया.
बनारस दौरे के दौरान ममता बनर्जी का आरोप है कि उनकी बेइज्जती की गयी – और जो कुछ उनके साथ हुआ उसके लिए यूपी के मुख्यमंत्री को लेकर कहा है कि योगी संत नहीं हैं. वे योगी नहीं बल्कि भोगी हैं. दरअसल ममता जैसे ही शहर के चेतगंज इलाके से गुजर रही थीं, उन्हें कुछ काले झंडे लिए लोग दिखे बस क्या था ममता बनर्जी ने तुरंत गाड़ी रोकी और सड़क पर उतर कर खड़ी हो गयी . वहां खड़े कुछ लोगों ने इसका वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर डाल दिया. और ममता दीदी को क्या चाहिए फ्री में पब्लिसिटी हो गई . लेकिन ममता बनर्जी इतने से ही कहां मानने वाली थी . अपनी स्टाइल में रुदाली राग आलापते हुए ममता बनर्जी ने बताया, ‘मैं दशाश्वमेध घाट जा रही थी… तब मेरी गाड़ी पर डंडा मारा गया… मेरी गाड़ी को घेर लिया गया, काले झंडे दिखाये गये, मैं बाहर निकलकर खड़ी हो गई… क्योंकि, मैं डरती नहीं, फाइटर हूं…’ ममता बनर्जी का कहना है कि यूपी में बहन-बेटियों का सम्मान नहीं है. योगी को संत कहना भी, संत शब्द का अपमान होगा.
लेकिन ममता बनर्जी इसे बेइज्जती बता रही है , तो वो क्या था जो दिसंबर, 2020 को बंगाल में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ जो हुआ था उसे सम्मान तो बिल्कुल नहीं कहा जा सकता था.
बता दें आपको जेपी नड्डा के काफिले पर हुए हमले को ममता बनर्जी ने नौटंकी करार दिया था. नड्डा के काफिले की कई गाड़ियों के शीशे टूट गये थे. साथ ही बीजेपी के कई कार्यकर्ताओं को चोटें भी आयी थीं . तब ममता बनर्जी ने कहा था कि ‘वो लोग केंद्र सरकार के सुरक्षा दस्ते के साथ आते हैं… उन पर हमला कैसे हो सकता है? एक नेता के साथ 50 कारों का काफिला जाने की क्या जरूरत है?’ वैसे बनारस में तो ममता बनर्जी के साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जैसी नौटंकी वो फैला रहीं हैं .
वैसे एक बात और दीदी को समझ लेनी चाहिए कि ‘जय श्रीराम’ के नारे को आप भले ही सियासी स्लोगन मान लें , लेकिन बाबा की नगरी में ‘हर हर महादेव’ के नारे से किसी की बेइज्जती तो हरगिज नहीं हो सकती. इन सबके बीच ममता बनर्जी जिनके लिए प्रचार करने आयी थी मानो वहीं गुम हो गये . अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि ममता बनर्जी को प्रचार के लिए बनारस बुलाकर अखिलेश यादव ने कोई गलती तो नहीं की ?
अब जब प्रोपेगेंडा मास्टर ममता बनर्जी को वाराणसी में किये ड्रामे से कुछ नहीं मिला तो ममता ने मोदी सरकार का विरोध करना शुरू कर दिया. मतलब एक नौटंकी खत्म हुई नहीं की दूसरी शुरू हो गई. वाराणसी में मिली लताड़ के बाद वो सीधे यूक्रेन मामले में कूद पड़ी. शनिवार को रूस-यूक्रेन युद्ध के 10वेंदिन जाकर उन्हें यूक्रेन में फंसे बच्चों की याद आयी है. वो भी तब जब वहां फंसे छात्रों को भारत सरकार ऑपरेशन गंगा जैसे मिशन के तहत वापस भारत लाया जा चुका है.
मोदी सरकार के विरोध में ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा कि ”मैं यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों के जीवन को लेकर बहुत चिंतित हूं। जीवन बहुत कीमती है। उन्हें वापस लाने में इतना समय क्यों लग रहा है? पहले कदम क्यों नहीं उठाए गए?” उन्होंने कहा, ”मैं केंद्र सरकार से आग्रह करती हूं कि तत्काल पर्याप्त संख्या में उड़ानों की व्यवस्था की जाए और सभी छात्रों को जल्द से जल्द वापस लाया जाए।”
दरअसल ममता बनर्जी को सरकार का विरोध करने के लिए कोई न कोई बहाना चाहिए . केंद्र सरकार की भूमिका पर सवाल उठाते हुए अचानक से वे छात्रों की इतनी हितैषी बन गईं मानो इनके बोलने से पहले इस संकट से निकलने के लिए मोदी सरकार ने कोई कदम उठाया ही नहीं हो । आज जिस तरह से भारत सरकार यूक्रेन में फंसे बच्चों को भारत ला रही है वो काबिले तारीफ है, खुद कई केंद्रीय मंत्री इस काम में डटे हुए हैं.
आप समझ ही गए होंगे कि आखिर हम ममता बनर्जी को हम प्रोप्रेगेंडा मास्टर क्यों कह रहे हैं. वैसे देश समझ चुका है कि इन सबके जरिये आप अपना सियासी हित साधने में जुटी हैं।
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