वामपंथी इतिहासकारों के साथ ही बॉलीवुड ने भी हमेशा से हमारे महान हिंदु शासकों को नजरअंदाज करते हुए मुगल शासकों का ही महिमामंडन किया है. बॉलीवुड में ऐतिहासिक फिल्मों के नाम पर सल्तनतों और बादशाहों के ही कसीदे पढ़े गए हैं. ‘रजिया सुल्तान’ से लेकर ‘अलाउद्दीन खिलजी’ तक को दिखाया गया. ‘जोधा अकबर’ जैसी इतिहास की सबसे धूर्त कहानी को परोसा गया. ऐतिहासिक किरदारों को मनगढंत तरीके के ‘मुगल-ए-आजम’ के रूप में परोसा गया.

कुल मिलाकर मुगलों और सल्तनत को लेकर बनाई गई हैं उसका 10 फीसदी भी हमारे हिंदु शासकों, हमारे स्वतंत्रता सेनानियों पर शायद ही बॉलीवुड में बनी हो. हिंदु शासक संभाजी, राजा सूरजमल और सम्राट मिहिरभोज जैसे शासकों पर फिल्म बनाने से बॉलीवुड हमेशा बचता रहा. इतिहास में रानी दुर्गावती, रानी चेनम्मा का बलिदान बॉलीवुड को कभी दिखा ही नहीं . उल्टे धीरे-धीरे बॉलीवुड में खान गैंग से लेकर करण जौहर जैसे लोगों ने बॉलीवुड का बेड़ा गर्क कर उसे बॉयकॉट तक पहुंचा दिया.

लेकिन दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री ने दक्षिण भारत और उससे बाहर के लोगों के लिए महान हिंदु साम्राज्य की हैरान करने वाली बहादुरी की गाथा को फिल्मों का रूप देकर दर्शकों के सामने लाने की बेहतरीन कोशिश की है. मणिरत्नम के निर्देशन में चोल साम्राज्य की कहानी PS-1 रिलीज हो गई . जिसमें चोल साम्राज्य की कहानी बतायी गई है. इसी के साथ आज की पीढ़ी ये सोच कर हैरान-परेशान है कि आज से हजारों साल पहले भारत में एक ऐसा भी महान साम्राज्य था, जो अपने दौर में अकल्पनीय सा दिखता है. वो चोल साम्राज्य जिनकी नौसेना दुनिया की सबसे बड़ी नौसेनाओं में शामिल थी. चोलों का महान इतिहास करीब-करीब 1900 साल का है. उनके पांच सौ साल तो ‘स्वर्णकाल’ हैं. दुनिया के इतिहास में इतना लंबा साम्राज्य किसी का नजर नहीं आता. भारत में मुग़ल हों, अंग्रेज हों या दूसरे आक्रमणकारी- किसी का भी शासन काल 400 वर्षों से भी ज्यादा नहीं दिखता. किसी के भी शासन काल में जनता के कल्याण की वैसी भावनाएं नहीं दिखती जो अपनी प्रजा के लिए चोलों ने प्रयोग में लाया. चोलों की व्यवस्था के आगे कोई साम्राज्य नहीं ठहरता.

सबसे शर्मनाक और हैरान करने वाली बात ये कि हमारे जिस गौरवशाली इतिहास का लोहा विदेशियों ने माना उसे भारतीय फिल्मकारों ने सिरे से खारिज कर दिया. एक रिपोर्ट के मुताबिक तमिल सिनेमा के लिए काम करने वाले अमेरिकन फिल्ममेकर एलिस आर डुंगानो तक ने चोलों पर फिल्म बनाई है.

ये बेहद ही शर्मनाक है कि भारत की जनता के सामने वाहियात चीजें परोसकर बॉलीवुड अपनी जेबे भरता रहा और मुगल बादशाह और उनके रिश्तेदारों की अय्याशियों को फिल्मों के जरिये बेचता रहा. लेकिन देर से ही सही कम से कम दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के रास्ते पूरा भारत अपने महान हिंदु शासकों की कहानियों से रूबरू होगा जिन्हें अब तक इतिहासकारों और बॉलीवुड वालों ने नजरअंदाज किया है.

इसके साथ ही उम्मीद की जा सकती है कि चोलों, के बाद पल्लवों, सातवाहनों और चालुक्यों की अमर कहानियों को भी पर्दे पर उतारा जाएगा. लेकिन फिलहाल तो PS-1 के जरिये चोल साम्राज्य की बहादुरी की हैरान करने वाली कहानी देखिए और अपने इतिहास पर गर्व कीजिए.

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