जोगम्मा विरासत की ट्रांसजेंडर लोक नर्तक और कर्नाटक जनपद अकादमी की पहली ट्रांसजेंडर अध्यक्ष मंजम्मा जोगाठी को राष्ट्रपति (President) राम नाथ कोविंद से पद्म श्री पुरस्कार मिला। पुरस्कार लेने से पहले उन्होनें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की नजर उतारी उसके बाद पद्म श्री पुरस्कार लिया।

पद्मश्री मंजम्मा जोगाठी ने अपने पैतृक गांव में 10वीं तक की पढ़ाई की. इस दौरान उसने कई मुसीबतों का सामना किया. किशोरावस्था में परिवार से बहिष्कार की समस्या का सामना किया…छोटी उम्र से ही उसने पूरे कर्नाटक में हजारों जोगथी नृत्य कार्यक्रम किए. उन्होंने अपने पूरे जीवन में कई समारोहों, मेलों, सार्वजनिक समारोहों में भाग लिया है…अपनी सभी कठिनाइयों के बीच गरीबी, सामाजिक बहिष्कार और यहां तक कि बलात्कार के बावजूद मंजम्मा जोगाठी ने अलग-अलग कलाकृति प्रकारों में जोगती नृत्य और जनपद गीत, कन्नड़ भाषा के गीतों के प्रस्तुत किए और पुरस्कृत हुई।

मंजम्मा के संघर्ष को जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Modi) की नई सोच की सरकार ने सलाम किया है वह अपने आप में बताता है कि इससे पहले पदम श्री, पदम पुरस्कार महज पार्टी की विचारधारा के राजकीय चमचों को बांट दिए जाते थे, मगर मोदी ने समाज के हर तबके तक इन पुरस्कारों को पहुंचा कर मनुष्यता की असीम ऊंचाइयों को छूने का प्रयास किया है। नरेंद्र मोदी के इस विराट व्यक्तित्व की जी भरकर प्रशंसा की जानी चाहिए कि आखिर उन्होंने समाज के निचले अंतिम और पिछड़े तबके के लोगों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया है ना कि महंगे एसी और एलिट विचारधारा के उन अंग्रेजी मानसिकता के लोगों को जो अंग्रेजी किताबे लिखकर ब्लैक कॉफी पीकर भारत के पर्व त्योहार को कोसने का काम करते हैं।

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