पिछले 70 सालों में कांग्रेस पार्टी ने देश को जो इतिहास पढ़ाया है वह कितना मनगढ़ंत है इसका उदाहरण देखिए… 1920 में असहयोग आंदोलन हुआ था और उसके बाद 1921 में केरल के मोपला में एक विद्रोह हुआ था जिसमें हजारों मुसलमानों ने मिलकर हिंदुओं के खिलाफ सुनियोजित दंगे किए थे। यह दंगे तकरीबन 6 महीने तक चले थे उसमें हिंदुओं की संपत्ति को लूटा गया था , उनकी औरतों के संग बलात्कार किए गए थे, हजारों हिंदुओं की हत्या कर दी गई थी। अब यहीं पर ही कांग्रेस के वामपंथी इतिहासकारों का चमत्कार देखिए उन्होंने इन दंगा करने वाले लोगों को स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट में डाल दिया था और इतिहास में लिख दिया कि 1921 में केरल के मोपला में अंग्रेजों को हटाने के लिए विद्रोह हुआ था।


वर्तमान में केंद्र की मोदी सरकार 387 इन नामों को स्वतंत्रता सेनानियों की सूची से हटाने जा रही है। गौरतलब है कि मोपला विद्रोह का सम्बंध हिंदुओं की सुनियोजित हत्या से था ना कि अंग्रेजो के खिलाफ इस आंदोलन में कोई भी लड़ाई की गई थी। इसके बावजूद अब तक बीते 70 सालों से इन दंगाइयों को स्वतंत्रता सेनानी बताया गया और तुष्टिकरण की राजनीति के तहत इनका महिमामंडन किया गया। 


इससे पहले संघ और बीजेपी से जुड़े हुए नेता राम माधव ने भी कहा था कि मोपला विद्रोह भारत में तालिबानी मानसिकता का पहला विद्रोह था। हैरानी की बात यह है कि 6 महीने तक चले इस दंगे में तकरीबन 10000 हिंदुओं की हत्या की गई थी व उनकी संपत्ति-औरतों को लूटा गया था, इसके बावजूद इन सभी नामों को भारत में स्वतंत्रता सेनानी बताकर पढ़ाया जाता रहा। अब केंद्र की मोदी सरकार की दृष्टि इस पर गई है और अब सरकार जल्द इन नामों को स्वतंत्रता सेनानियों की सूची से हटाने जा रही है।

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