भारत के इतिहास में अक्सर उन चीजों को पढ़ाया गया जिसमें मुगलों की महानता का जिक्र होता आया है। क्या कभी आपने ऐसे युद्ध के बारे में पढ़ा है जिसमें नागा साधुओं ने अफगान अहमद शाह अब्दाली को धूल चटाई? नहीं ना..! तो आइए हम बताते हैं…
अहमद शाह अब्दाली ने पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठों को पराजित किया था तो वह घमंड में भर गया और पानीपत से लौटते हुए अफगानिस्तान के रास्ते में वह तमाम हिंदुओं का कत्लेआम मचाता हुआ आगे बढ़ने लगा। मथुरा के समीप 5000 जाट सेना से उसका मुकाबला हुआ मगर उसमें 3000 जाट शहीद हो गए और अब्दाली ने मथुरा शहर को खूब लूटा।
मथुरा में तबाही मचाने के बाद अहमद शाह अब्दाली गोकुल की तरफ आगे बढ़ा तब तक पूरे ब्रज में यह बात आग की तरह फैल गई थी कि अब्दाली पूरे ब्रज को तबाह करने व कत्लेआम मचाने के लिए आया हुआ है। इसके बाद जो हुआ इतिहास की गहराइयों में दबा दिया गया क्योंकि उसे जाहिर करने से कम्युनिस्टों का एजेंडा भारत में स्थापित नहीं हो पाता।
दरअसल अब्दाली के हमले के बाद पूरे ब्रज से तमाम नागा साधु इकट्ठा होकर गोकुल पहुंच गए और वह गोकुल की रक्षा में तत्परता से तैनात हो गए। सभी नागा साधुओं ने महापंचायत कर यह तय किया कि हम भगवान के मंदिर की रक्षा के लिए लड़ेंगे। नागा साधुओं ने अपने हाथ में चिमटा, त्रिशूल, फरसा ले लिया और चट्टान की तरह अफगान फौज के सामने सीना तान कर खड़े हो गए।
हर-हर महादेव के जयघोष के साथ तमाम नागा साधु अफगान सैनिकों पर कूद पड़े और फरसा व त्रिशूल से उनकी छातियों भेदने लगे। नागा साधुओं का वीभत्स रूप देखकर अब्दाली डर गया और उसकी अफगान सेना वहां से भाग खड़ी हुई। क्या गोकुल में हुए इस महान ने युद्ध के बारे में आपको किसी इतिहासकार ने बताया? किसी कक्षा की किताब में इस युद्ध के बारे में पढ़ाया गया? समझ लीजिए कि भारत का इतिहास इन लोगों ने और किस मंशा के साथ लिखा था।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.