झारखंड में हेमंत सोरेन जब से सीएम की कुर्सी पर बैठे हैं, तब से सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में विकास भले ही न हुआ हो लेकिन , राज्य में लॉ एंड ऑर्डर दिन ब दिन खराब होती जा रही है, अपराधी बेलगाम हो रहे हैं, हत्या, छेड़खानी और फिरौती जैसे मामले बढ़ते जा रहे हैं, इस बीच झारखंड के धनबाद जिले में एक जज की सनसनीखेज हत्या ने कानून व्यवस्था की न सिर्फ हकीकत सामने ला दी बल्कि हेमंत सरकार की अपराधियों पर लगाम लगाने की नाकामी को भी दिखा दिया.

दरअसल धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद मॉर्निंग वॉक पर निकले थे। वे शहर के रणधीर वर्मा चौक पर सड़क के किनारे जा रहे थे। इसी बीच तेज रफ्तार से आ रहे एक ऑटो ने उन्हें टक्कर मार दी। पहले तो यह घटना एक सिर्फ एक सड़क हादसा लग रहा था। लेकिन जब इस घटना की सीसीटीवी फुटेज सामने आई तो ये हादसा नहीं बल्कि एक साजिश नजर आ रहा है। सीसीटीवी फुटेज में साफ दिख रहा है कि सड़क सुनसान थी और जज उत्तम आनंद सड़क के किनारे चल रहे थे। अचानक ऑटो तेज गति से चलते हुए बायीं तरफ मुड़ गयी और जज उत्तम आनंद को टक्कर मारकर तेजी से आगे बढ़ गई.

इधर उत्तम आनंद की मौत का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के चीफ विकास सिंह ने चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने इसपर संज्ञान लेने की अपील की है। चीफ जस्टिस ने सड़क हादसे में जज उत्तम आनंद की संदेहास्पद मौत पर कहा है कि उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से बात की है और झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने इस मामले में पुलिस और प्रशासन के अफसरों को नोटिस जारी किया है। सवाल ये है कि जज उत्तम आनंद की मौत हादसे में हुई या फिर ये कोई साजिश है क्योंकि जो सीसीटीवी सामने आया है उसमें साफ दिख रहा है कि ऑटो ने जानबूझकर मॉर्निंग वॉक पर निकले जज को टक्कर मार दी।

वहीं झारखंड बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि झारखण्ड में अब कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज बची नहीं है,जिस प्रकार से धनबाद में एक न्यायाधीश की संदिग्ध हत्या कर दी जाती है इससे यह प्रतीत होता है कि राज्य की सवा तीन करोड़ जनता भी अब सुरक्षित नहीं रही. राज्य सरकार इस हत्या की जांच अविलंब सीबीआई से कराने की अनुशंसा करे.

बता दें आपको उत्तम आनंद छह महीने पहले ही बोकारो जिले से ट्रांसफर होकर धनबाद आए थे। उत्तम आनंद के कोर्ट में काफी चर्चित और बड़े केस की सुनवाई चल रही थी। इसमें मुख्य रूप से सिंह मेंशन और पूर्व विधायक संजीव सिंह के करीबी रंजन सिंह हत्याकांड का मामला भी शामिल है। इस मामले में झरिया की कांग्रेस विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह का मौसेरा देवर हर्ष सिंह आरोपित है।

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसके बाद लोग हेमंत सोरेन सरकार पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। जाहिर सी बात है जिस राज्य के सीएम के पास वामपंथियों और अर्बन नक्सलियों पक्ष में बोलने का समय , ट्विटर पर मोदी सरकार के खिलाफ बोलने का समय मिल जाता है, तो क्या अपने राज्य में कानून व्यवस्था का हाल जानने के लिए समय नहीं मिलता . लोगों का कहना है कि झारखंड में जब एक जज सुरक्षित नहीं है तो आम आदमी कैसे सुरक्षित होगा।

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