आज देश के यशस्वी और दुनिया के सबसे लोकप्रिय राजनेता , भारत के प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र जी (भाई) दामोदर दास मोदी जी का जन्मदिवस है। प्रधानमंत्री बनने से पहले वे गुजरात के मुख्यमंत्री का दायित्व भी वे बहुत लम्बे समय तक संभाल चुके हैं। और इससे भी लम्बे समय से जिस दायित्व का निर्वहन वे करते चले आ रहे हैं वो है -राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक स्वयं सेवक होने का दायित्व।

ये संयोग ही है कि एक तरफ जहाँ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने 100 वर्ष पूरे करने के निकट पहुंच रहा है ठीक इसी समय , संघ का एक स्वयं सेवक अपनी राष्ट्रभक्ति के ओज से परिपूर्ण होकर भारत जैसे विशाल जनसमूह वाले देश का प्रहरी , उसका नायक और अभिभावक बनने की जिम्मेदारी न सिर्फ अपने कंधे पर उठाता है बल्कि संघ प्रदत संस्कारों के प्रभाव से , पूरी दुनिया में भारत को एक महाशक्ति के रूप में सशक्त करने में अनथक रूप से जुट जाता है।

ये भी एक संयोग ही है कि , हिन्दुस्तान की बढ़ती ताकत और वैश्विक प्रभाव से घबराकर , देश के अंदर और बाहर के सभी विरोधी -इस दृढ़ और राष्ट्र के प्रति अटूट प्रतिबद्धता रखने वाले इस स्वयं सेवक के साथ साथ पूरे संघ पर लगातार निशाना साध रहे हैं। तरह तरह के प्रपंच किये जा रहे हैं , षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। इतना ही नहीं – संघ के उद्देश्य -राष्ट्र को परम वैभव तक ले जाने की संकल्पना से डरे हुए , बौखलाए हुए लोग – बार बार सिर्फ और सिर्फ संघ को कोसते हैं , उसे बदनाम करने की कोशिश करते हैं। लेकिन ये संघ की संगठनात्मक शक्ति का ही परिणाम है कि दिनोंदिन ये एका बढ़ता ही चला जा रहा है।

यदि एक स्वयंसेवक के रूप में प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व पर कुछ लिखा कहा जाए तो वो इतना ज्यादा होगा की शब्द और लेखनी कम पड़ जाएगी। 71 वर्ष की आयु में -स्वस्थ और संतुलित जीवन शैली , योग , शाकाहार , साधना का सामंजस्य ही है जो मुश्किल और प्रतिकूल परिस्थतियों में भी नरेंद्र मोदी -देश के लिए पूरी दुनिया के सामने हिमालय के समान अडिग रहते हैं। संघ की त्याग और तपस्वी भावना के कारण ही उनका सर्वस्व सिर्फ और सिर्फ राष्ट्र को समर्पित है।

संघ का मूल मन्त्र -संघे शक्ति कलियुगे -यानि संगठन में ही शक्ति है ही उनके इतने बड़े सामाजिक दायरे और परस्पर स्नेह ,सद्भाव , सबको साथ लेकर चलने की भावना ,सबको प्रोत्साहित करने की ललक – उत्तम उत्तम उत्तम भाई , सुन्दर सुन्दर सुन्दर भाई – को चरितार्थ करने का चरित्र। भारत की सांस्कृतिक विरासत और सनानत संस्कृति की न सिर्फ गूढ़ समझ बल्कि उसके लिए मन में आदर और सम्मान का संस्कार ही आज उन्हें सबसे अलग सब विलक्षण किये हुए है।

समय का सदुपयोग , दिवसों को अवसरों और उत्सवों में परिणत कर देने की कला ( किसने कल्पना की होगी कि कोई प्रधानमंत्री -खासकर उस देश में जहां एक छोटा सा राजनेता भी अपने विशेष दिनों पर अपनी विलासिता का प्रदर्शन करने से नहीं चूकता , उस देश का प्रधानमंत्री , अपनी दीवाली सीमापर पर तैनात राष्ट्र प्रहरियों बहादुर फौजियों के साथ बिता सकता है और अपने जन्मदिन पर अपने देशवासियों को असाध्य बीमारी से बचने का कवच -वैक्सीन प्रदान करके मना सकता है ) , ये सब संघ के ही स्वय सेवक के ही संस्कार हो सकते हैं।

हर बात पर संघ को कोसने वाले , संघ पर ऊँगली उठाने वालों के लिए नरेंद्र मोदी वो आइना हैं जिसमें देखने भर से उनका सारा झूठ , अहम् सब पानी पानी हो जाता है। ये भारत और भारतीयों की खुशकिस्मती है कि आज एक अग्रेसर स्वयं सेवक ऐसा मिला है जो अपनी पूरी निष्ठा और समर्पण से हिन्दुस्तान को परम वैभव की राह पर जाने को प्रयत्नशील है। ईश्वर इन्हें शतायु करें। पूरे राष्ट्र का नमन है अपने इस राष्ट्र प्रहरी को। जय हिन्द जय भारत।

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