किसान आंदोलन के नाम पर एकत्र हुई अराजक और दिशाहीन भीड़ को अब न ही किसी सरकार , न ही किसी समाज देश और राष्ट्र की चिंता है। यह बात तो 26 जनवरी को लालकिले पर किए गए तमाशे ,हिंसा और उपद्रव से ही जगजाहिर हो गया था। मगर लगता है कि इन्होने ये ठान लिया है कि हर कार्य में राष्ट्र और तिरंगे का अपमान ही करेंगे।

ऐसा ही एक मामला संज्ञान में आया है। 23 जनवरी को इस आंदोलन में भाग लेने आए युवक बलजिंद्र की झड़प के दौरान 25 जनवरी को मृत्यु हो गई थी। पुलिस ने उसका शव उसकी पहचान न जाहिर होने के कारण मुर्दाघर में रख दिया था। बलजिंद्र के परिजनों को 2 फरवरी को जब उसकी मृत्यु के बारे में पता चला तो वे शव लेने के लिए पहुँचे।

मृतक के भाई , माँ और अन्य परिजनों ने बलजिंद्र के शव को तिरंगे में लपेट कर उसका अंतिम संस्कार किया और इसका वीडियो बना कर सोशल नेट्वर्किंग साइट्स पर इस उद्देश्य के साथ डाला की उसे इस आंदोलन का शहीद माना जाए।

सोशल नेटवर्क पर अंतिम संस्कार और शव को तिरंगे में लिपटा देख कर बहुत से लोगों ने इसकी शिकायत पुलिस में कर दी और पुलिस ने बलजिंद्र के भाई गुरविंदर , माँ जसवीर कौर और अन्य के विरूद्ध राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का मामला दर्ज़ कर लिया है।

ज्ञात हो कि राष्ट्रीय ध्वज कानून के तहत किसी भी नागरिक दाह संस्कार में तिरंगे का उपयोग करना कानूनन जुर्म है। तिरंगा केवल सेना , फ़ौज , पुलिस और विधिक रूप से उल्लेखित व्यक्तियों के शव के ऊपर ही सम्मान सहित रखा जा सकता है।

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