कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश में किस तरह से कहर बरपाया है वो किसी से छिपी नही हैं . इस महामारी में जहां कईयों ने अपनों को खो दिया . वहीं देश में सैकड़ों बच्चे अनाथ हो गए हैं। कई ऐसे बच्चे हैं, जिनके माता-पिता दोनों ही इस दुनिया में नहीं रहे। वहीं ऐसे बच्चों की संख्या भी बहुत अधिक है, जिनके पिता या माता में से किसी एक का निधन हो गया है। ऐेसे बच्चों की देखभाल करने के लिए उचित नीति बनाने का सुझाव देते हुए पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सभी राज्य सरकारें अपने राज्य के ऐसे बच्चों की लिस्ट राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग  (NCPCR) के ‘बाल स्वराज पोर्टल’ में अपलोड करें। जहां पहले इसकी अंतिम तारीख 29 मई थी। वहीं अब इसे बढ़ाकर 5 जून कर दिया गया है ।
लेकिन इस बीच जो आंकड़े दिल्ली सरकार ने बताया वो जानकर आप हैरान रह जाएंगे .दरअसल दिल्ली सरकार ने जानकारी दी है कि दिल्ली में केवल दो ऐसे बच्चे हैं, जिनके माता-पिता दोनों की मौत हो गयी है, जबकि तीन ऐसे बच्चे हैं, जिनमें से किसी के पिता या किसी की माता का निधन हुआ है। वहीं पश्चिम बंगाल की हालत भी इससे जुदा नहीं है. पश्चिम बंगाल सरकार ने ये जानकारी दी है कि उनके राज्य में केवल एक बच्चा अनाथ हुआ है।
वहीं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने आशंका जताई है कि शायद ये दोनों राज्य सरकारें अपने यहां के अनाथ बच्चों की सही संख्या नहीं दे रही हैं। जाहिर है इस संख्या पर विश्वास करना बेहद मुश्किल है क्योंकि जिस तरह से दिल्ली में पिछले डेढ़ महीने से लगातार लगभग 400 लोग कोरोना के कारण मर रहे हों, वहां केवल दो ही बच्चे अनाथ हुए होंगे, इस पर जल्दी भरोसा शायद किसी को नहीं होगा। वहीं पश्चिम बंगाल में भी बड़ी संख्या में लोग कोरोना का शिकार हुए है।
प्रियंक कानूनगो का यह भी कहना है कि दिल्ली और पश्चिम बंगाल इन बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से पाला झाड़ने के लिए अपने यहां के अनाथ बच्चों की सही जानकारी नहीं दे रहे हैं।  कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री ने भी पीएम केयर फंड से इन बच्चों को मदद देने की बात कही है। इसे देखते हुए सभी राज्य सरकारों को सही आंकड़े पेश करने चाहिए ,ऐसे समय में सियासत, आरोप-प्रत्यारोप भूलकर इस महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों को सहारा देने की जरुरत है न कि उनका सहारा छीनने की ।

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