पाठ्यपुस्तकों एवं पाठ्यक्रम में बदलाव कर उन्हें भारतीय संस्कृति के अनुरूप बनाने हेतु : 12 सदस्यीय समिति का गठन

आप पिछले चालीस साल से देश भर के स्कूल कर कॉलेज में पढ़ाई और बच्चों द्वारा पढ़ी गई /जा रही पाठ्यपुस्तकों पर एक सरसरी नज़र डालेंगे तो पाएंगे कि किस तरह ,भारत के हज़ारों वर्ष पुरातन और अत्यंत गौरवशाली संस्कृति, इतिहास , चरित्रों ,नायकों को उपेक्षित करके सिर्फ और सिर्फ गुलामी और उससे जूझते भारत , इसमें भी आजादी के परवानों को किसी न किसी तरह हाशिए पर रखते हुए आधुनिक भारत का इतिहास भूगोल , यही सबी चलता आ रहा है।
केंद्र की भाजपा सरकार जो शुरू से भारत की चिरकालीन सनातन संस्कृति की संरक्षक और आदर्श समाज के निर्माण की संकल्पना से उत्प्रेरित है ने सबसे पहला जो बीड़ा उठाया है वो है वर्तमान और भविष्य की पीढ़ी को अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम , उसके प्रति एक सजग नागरिक का कर्तव्य ,समाज में एक दुसरे के साथ विकास करने की ललक के साथ ही दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृति सनातन के गौरवकाल और भारत के महागौरवमयी राजघरानों ,सम्राटों , वीरों के कृत्य और जीवन -से सबका परिचय कराना।
अब एक 12 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है जो पाठ्यक्रम और पुस्तकों में भारतीय संस्कृति और गौरवमयी इतिहास को भी समुचित स्थान देने के लिए पठन सामाग्रियों , पाठों , लेखों , पुस्तकों की अनुशंसा करेंगी।
इस समिति में कस्तूरी रंगन , गोविन्द प्रसाद शर्मा , मंजुल भार्गव ,नज़्मा अख्तर ,टी वि कट्टीमणि ,महेश चंद्र पंत , मिलिंद कांबले , प्रो जगबीर सिंह , समाज सेवी एम के श्रीधर व अन्य शिक्षाविद , विद्वान आदि को शामिल किया गया है। ज्ञात हो कि शिक्षा जगत के अलावा अन्य क्षेत्रों से भी विद्वतजनों को समिति में रखा गया है।
उम्मीद की जा रही है कि आने वाली नस्लें , इन बदलावों के बाद भारत का असली इतिहास , भूगोल , और संस्कृति से परिचित हो सकेंगे। जय हिन्द /जय भारत
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