समस्त देशवासियों की पसंद की अपनी सरकार जबसे 2014 में सत्तारूढ़ हुई है तभी से सबसे बुरी हालत जिन दो की हुई है , उनमें एक है कांग्रेस और दूसरा पाकिस्तान। भारत और पाकिस्तान , दोनों देशों के पुराने हुक्मरान अपनी सेटिंग से सालों तक क्रिकेट मैच भी करवाते रहे और आतंकी हमले भी।

केंद्र में मोदी सरकार के आते ही , शुरू शुरू में तो सरकार ने आखरी मौक़ा देते हुए शिकंजा उसी वक्त नहीं कसा , मगर फ़ौज पर किसी ने ऊँगली उठाई तो न ऊँगली तोड़ते देर लगाई और न ही गर्दन उखाड़ते , पड़ोसी पाकिस्तान और चीन दोनों ही इस बात के पक्के सबूत हैं। नया भारत इधर शक्तिशाली और प्रभावशाली हो रहा था और उधर पड़ोसी जो पहले से ही निरंकुश था अब वो धीरे धीरे कंगाल हो रहा था।

क्रिकेटर से हुक्मरान बने इमरान खान और उनकी पूरी फ़ौज के सिपहसालार पूरी दुनिया में घूम घूम कर दुसरे देश के संचालकों के चरण चूम रहे थे , कोई गाडी का ड्राइवर बन रहा था तो कोई कुछ और। इधर जिधर -नकली नोटों की , आतंकी हमलों की , नशे की सौदागरी , स्मगलिंग और बाद के दिनों में पत्थर फेंकने के जितने भी दूकान धंधे थे सब पर मोदी सरकार ने ताला लगवा दिया और तो और धारा 370 हटा कर तो पूरा इतिहास भूगोल ही बदल दिया।

इतने सालों बाद किसी तरह से मान मनौव्वल करके न्यजीलैंड की टीम को क्रिकेट मैच खेलने खिलाने के लिए बुलवाया गया , अगलों ने ठीक मैच से पहले ही -मुंह पर मना कर दिया कि जाओ नहीं खेलना तुम्हारे साथ -और करते भी क्यों न। कुछ सालों पहले श्रीलंका की क्रिकेट टीम को बुलवाकर बस में बम बारूद वाला मैच पहले भी खेला जा चुका है पाकिस्तान में सो ऐसे में जब पता चला कि – ये न सुधरे , ये फिर वही करतूत करने की तैयारी में हैं। न्यूजीलैंड ने फ़ौरन मना किया कर बोरिया बिस्तरा समेत कर टाटा बाय बाय बोल दिया।

अब वजीरे आजम जो इत्तेफाकन , खुद क्रिकेट कप्तान रह चुके हों उन सहित सबको ये बात बहुत जोर की लग गई। मगर इधर बात लग ही रही थी कि उधर एक और लैंड -इंग्लैंड , से भी कुछ ऐसा ही ठेंगा दिखा दिया गया पाकिस्तान को। कुल मिला कर सबने पाकिस्तान को यही संदेश दे दिया है कि -पाकिस्तान भाई जान , बिरादर तुम तो तालिबान के साथ ही मैच विच खेलो।

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