एक तो इस देश में ये सबसे बड़ी समस्या है कि , एक सौ चालीस करोड़ जनता का मूड कब कैसे स्विंग कर जाए और वो क्या था ?? हाँ टिक टॉक छाप छपड़ी लोग तक खुद को स्टार कहने समझने लगे थे , सिर्फ एक आँख भर मार कर एक अभिनेत्री सुपर डुपर हो गई थी और वो भी हैं हमारी धिन्चैक धिन्चैक स्कूटी वाली |

फिर भगत जी की किताबों , और उससे ज्यादा उनके चटखारेदार अनुभवों पर लिखे उपन्यासों , कहानियों पर पिक्चरें बन रही हैं वो भी हिट फिट | तो ऐसे में उनका फ़र्ज़ बन जाता ही है कि अपने ट्विट्टर पर दुनिया के हर विषय पर अपनी पीपनी जरूर बजाएं | भई ,भगत जी ने कहा है ???

भगत जी , कौन भगत जी , वो फलाने उपन्यास , (अंग्रेजी के ) थ्री प्वाइंट समवन वाले , जितनी देर में अगला मुंह बनाए उससे कहिये अरे वही जिसकी किताब पे थ्री इडियट सिनेमा बना था भाई | बस तुरंत ही उसका वीरू सहस्र्बुद्धि जाग जाता है | यानि भगत जी , आपके अपने लुटियंस जोन के अलावा बाकी को कद्दू फर्क नहीं पड़ता कि आप हाफ गर्लफ्रेंड के विषय में लिख बोल रहे हैं या क्वार्टर फ्रेंडशिप के बारे में |

मगर जब आप तनिष्क में छुप कर बैठे और अपनी व्यावसायिक प्रतिबद्धता के साथ विश्वासघात करते हुए कुछ गलतियां हुईं /की गई तो उन्हें टोकने वालों के लिए क्या फरमाया आपने ? उनकी औकात नहीं है हीरा खरीदने की |

अब यही तो समस्या है आज कल के छोरों की खासकर वे जिन्हें लगता है ये दुनिया व्हाट्स एप और फेसबुक ,ट्विट्टर के आने के बाद से ही शुरू हुई है उससे पहले कहीं कुछ नहीं था |

ओ रे भाई चतुर बेवकूफम भगत जी , किसे कह रहे हो सोना हीरा खरीदने की औकात नहीं | आप कतई बावरे हो गए हो , आपने गौर नहीं किया जैसे दूसरों ने नहीं किया था , विरोध तनिष्क का और उसके हीरे का नहीं था ,विरोध उस जहर का किया जा रहा था/है जिसे तनिष्क के वर्क में लपेट कर सबको ताबीज की तरह पहनाने की कोशिश की जा रही थी |

बस इतनी सी बात थी/है | है थोड़ी गहरी , मान लिया | मगर ऐसे भी क्या जल्दी हो जाती है प्रतिक्रिया देने की | इतनी ही हिम्मत तब क्यूँ नहीं दिखाते जब सुबह बेवजह बजते हुए भौपुओं को बंद या कम किये जाने के लिए कुछ कहता बोलता है | अच्छा अच्छा वो , ढोल मंजीरे वाले , हिप्पी टाईप आजादी गैंग के चहेते बनने के लिए तो फिर ऐसा ही बोलना पड़ता है |

भगत जी , आप शायद ये बात कहते समय भूल गए कि हमारे भगवन से लेकर उनके भक्त तक सब के अपने निजी सोने चांदी जेवरात के खजाने हैं और उन्हीं की चकमक से अंधे हुए कुछ करम कीटों को रतौंधी के मारे कुछ नहीं दीखता | कभी आपा और खाला जान की शान में भी फुल्ल ख़वातीन जैसा कुछ लिख कर दिखाओ भगत जी तो मामला ज़रा संतुलन का बना वरना सनातन और हिंदुत्व के लिए खड़ा हर हिन्दुस्तानी आप जैसे के लिए आउट ऑफ़ सिलेबस ही रहेगा जी | भईया जी इश्माइल

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