पूरा देश आज 40 शहीदों को याद कर रहा है जिन्होंने पुलवामा हमले में अपने प्राण न्योछावर किए थे, शहीदों को शत शत नमन.. मगर देश उन राजनेताओं को भी याद कर रहा है जिन्होंने पुलवामा हमले के समय देश की सेना के शौर्य पर सवाल उठाए थे, जिन्होंने कटघरे में खड़ा किया था भारत सरकार को, जिन्होंने छोटी और थोथी राजनीति के लिए घटिया बयानबाजी की थी।
पुलवामा हमले की पहली बरसी पर राहुल गांधी ने कहा था कि पुलवामा हमले के बाद किसको फायदा हुआ है यानी कि उन्होंने पुलवामा के हमले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की थी। साथ ही जब पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी तब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सबूत मांग कर सेना के शौर्य पर ही सवालिया निशान खड़े कर दिए थे। बालाकोट हमले के बाद और कई राजनेता ऐसे थे जिन्होंने भारतीय सेना कि इस स्ट्राइक पर संदेह जताया था तब पूरे देश में उनके इन बयानों की किरकिरी हुई थी।


पुलवामा हमले पर कांग्रेस प्रवक्ता रणजीत सुरजेवाला ने कहा था कि पुलवामा हमले की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए यह एक ऐसा बचकाना बयान था जिसे एक कान से सुनकर दूसरे से निकाला जा सकता है क्योंकि कोई भी सरकार अपनी सेना के गोपनीय दस्तावेज को सार्वजनिक नहीं करती है। इसके अलावा एनसीपी नेता नवाब मलिक ने भी कहा था कि पुलवामा हमले से मोदी को फायदा हुआ है।

देश के शहीदों की शहादत पर मनगढ़ंत बातें करने वाले इन नेताओं पर देश ने जब धिक्कार किया था तब यह बगले झांकते नजर आए थे। आज जब पुलवामा हमले की बरसी को 2 साल पूरे हो गए हैं तब पूरा देश शहीदों को नमन कर रहा है मगर कहीं ना कहीं आंसुओं से भरी हुई इन आंखों में इन नेताओं के बयान तिनके की तरह खटक रहे हैं कि आखिर राष्ट्रीय संप्रभुता, राष्ट्रीय सुरक्षा, राष्ट्रीय स्वाभिमान के मौके पर भी यह राजनीतिक गिद्ध कैसे अपनी रोटियां सेक लेते हैं?

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