रघुवंश बाबू के जाने के बाद अब समाजवाद के नाम पर सिर्फ कूड़ा बचा है जो परिवारवाद, जातिवाद और अलगाववाद के भरोसे जिंदा है
रघुवंश बाबू अब नहीं रहे। उनके जाते ही भारत की राजनीति से आखिरी समाजवादी भी चला गया। अब ऑफिशियली कहा जा सकता हैं कि भारत की राजनीति में कोई समाजवादी नहीं रहा।
रघुवंश बाबू उस समाजवाद को जी रहे थे जिसकी बात लोहिया ने की थी, जिसको कर्पूरी ठाकुर ने जिया था, जिसके दम पर जयप्रकाश नारायण क्रांति लाने की आशा जगाते थे।
अब देश में समाजवाद के नाम पर जो बचा रह गया हैं वो सिर्फ कूड़ा है। लालू हो या मुलायम , केवल परिवारवाद , जातिवाद और अलगाववाद के दम पर चलने वाला कूड़ा
रघुवंश बाबू की सहजता और सरलता भारत की राजनीति में बरसों तक याद की जाएगी।
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