मार्क्स , माओ और मैकाले के अनुयाई दशकों से हिंदू और हिंदुत्व के खिलाफ वैचारिक युद्ध छेड़े हुए हैं । हिंदू और हिंदुत्व शब्द ही प्रचलित और इस रहते हैं इसी हिंदुत्व पर राहुल गांधी ने निशाना साधा है टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोग स्वामी विवेकानंद के हिंदुत्व को उतार और आर एस एस की हिंदुत्व को संकीर्ण कहकर संबोधित करते आ रहे हैं इस गैंग को राहुल गांधी और कांग्रेस का समर्थन मिल गया है इसीलिए मैंने हिंदुत्ववादी शब्द को इजाद किया है यह देश की हिंदू और सनातन परंपरा को बदनाम करना चाहते हैं।

भारतीय तौर हिंदू एक दूसरे के पूरक है हिंदुत्व शब्द हिंदू विचार का प्रकटीकरण है विस्तार वादी साम्यवाद मृत्यु शैया पर अपनी आखिरी सांस ले रहा है इस्लाम के अंतर से इस्लामिक कट्टरता के खिलाफ आवाज उठनी शुरू हो गई हैं वसीम रिजवी और अली अकबर जैसे लोग इसकी गवाही दे रहे हैं। साफ है कि हिंदुत्व को हिंदुत्ववाद का नाम देकर राहुल गांधी से पश्चिम के वाद जैसे हिंसक विस्तारवादी और सोच के समक्ष खड़ा कर रहे है।

जब से नरेंद्र मोदी की सरकार आई है तभी से पश्चिम के विचारकों के साथ मिलकर देश के हिंदुत्व को बदनाम किया जा रहा है 2019 के लोकसभा चुनाव परिणाम को इन्होंने ‘विषैले राष्ट्रवाद की विजय’ घोषित किया था और इसे हिटलर के राष्ट्रवाद से जोड़ा था। हिटलर फासीवाद की तरह भारत के नरेंद्र मोदी सरकार की विश्व में छवि बनाई जा रही है जिसे कांग्रेस पार्टी के तमाम नेता देश के सबसे प्राचीन सनातन धर्म को अपमान करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

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