कैसे राजीव गांधी की कमजोर सरकार जो अपने नागरिकों के हत्यारे के आगे घुटने टेक कर खड़ी थी, पढिये उस दिन का एक एक डिटेल
गैस त्रासदी का जख्म आज भी लोगों के जेहन में है। गैस त्रासदी के साथ कई नाम भी हैं जो लोगों के जेहन में हैं। उनमें से एक नाम है। यूनियन कार्बाइड कारखाने के मालिक वारेन एंडरसन का। दूसरा नाम है मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, तीसरा नाम है तत्कालीन पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी और पांचवा नाम है जिलाधिकारी रहे मोती सिंह का। इन नामों को लेकर तरह-तरह के किस्से हैं। यूनियन कार्बाइड कारखाने की लापरवाही के कारण लोगों की मौत हुई थी। इस आरोप में यूनियन कार्बाइड फैक्टरी के मालिक वारेन एंडरसन को मुख्य आरोपी बनाया गया था।
भोपाल गैस कांड के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन को देश से बाहर भेजने में तत्कालीन केंद्र व राज्य सरकारों की कथित संलिप्तता के खुलासे के बाद कांग्रेस सवालों के घेरे में रही हैं।
इस त्रासदी के समय वरिष्ठ कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह राज्य के मुख्यमंत्री थे और उनके मंत्रिमंडल में दिग्विजय सिंह कृषि मंत्री थी। दिग्विजय सिंह 1993 से 2003 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। एंडरसन को सात दिसंबर 1984 को गिरफ्तार किया गया था लेकिन उसे भोपाल की एक अदालत से तुरंत जमानत मिल गई और इसके बाद वह राज्य सरकार के एक विमान से दिल्ली आ गया। दिल्ली से उसने विदेश की एक उड़ान पकड़ ली।
एंडरसन और उनके दो साथी इंडियन एयरलाइंस की एक नियमित फ़्लाइट से भोपाल आते हैं। जब उनका विमान भोपाल हवाई अड्डे पर लैंड कर रहा था तो उन्होंने खिड़की के शीशे से देखा तो बाहर पुलिसकर्मियों का एक बड़ा दल खड़ा था। विमान रुका केबिन एडरेस सिस्टम पर घोषणा हुई, ‘मिस्टर एंडरसन, मिस्टर महिंद्रा एंड मिस्टर गोखले आर इनवाइटेड टू लीव द एयरक्राफ़्ट फास्ट। भोपाल के पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी ने विमान की सीढ़ियों के सामने गर्मजोशी से हाथ मिला कर आगंतुकों का स्वागत किया। विमान से दस फ़िट की दूरी पर ही एक सफ़ेद एंबेसडर कार खड़ी थी। एंडरसन कार की पिछली सीट पर बैठे और रवाना हो गए। उनके पीछे एक और कार चल रही थी जिसमें स्वराज पुरी और ज़िला कलेक्टर मोती सिंह सवार थे। कार पहुंची थी गेस्ट हाउस।
कार रुकी वहां पहले से ही मौजूद पुलिस मौजूद थी। एंडरसन गाड़ी से नीचे उतरा। एक पुलिसकर्मी सामने आया और बोला। आप तीनों को गिरफ़्तार किया जाता है। एंडरसन यह सुनकर अवाक रह गया। पुलिस अफ़सर ने आगे कहा, ‘हमने ये क़दम आपकी सुरक्षा के लिए ही उठाया है। आप अपने कमरे के अंदर जो करना चाहें, कर सकते हैं. लेकिन आपको बाहर जाने, फोन करने और लोगों से मिलने की इजाज़त नहीं होगी। अभी ये बात हो ही रही थी कि मोती सिंह और स्वराज पुरी भी वहां पहुंच गए। लेकिन अगले दिन एक और घटना घटी। एसपी स्वराज पुरी, वॉरेन एंडरसन के पास पहुंचते हैं। स्वराज पुरी ने कहा- वारेन एडंरसन आपको तुरंत छोड़ा जा रहा है, लेकिन आपके भारतीय साथियों को बाद में रिहा किया जाएगा। पुरी ने कहा, ‘मध्य प्रदेश सरकार का एक जहाज़ आपको दिल्ली ले जाने के लिए तैयार खड़ा है। वहां से आप अपने विमान से वापस अमरीका जा सकते हैं।
भोपाल गैस त्रासदी का ये आरोपी हमेशा के लिए भारत से भाग जाता है। ऐसा कहा जाता है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने वारेन एंडरसन को विशेष विमान से भोपाल से निकलने की सुविधा उपलब्ध करवाई थी। एंडरसन को गैरकानूनी रूप से निजी मुचलके और जमानत पर छोड़ दिया गया। सिर्फ गिरफ्तारी पंचनामे पर एंडरसन के हस्ताक्षर लिए गए थे, जबकि निजी मुचलके, जमानतनामे पर हस्ताक्षर नहीं लिए गए।
15 हजार लोगों की मौत के मुख्य आरोपी को वॉरेन एंडरसन के भारत से चले जाने की कहानी बड़ी ही रहस्यमयी है।
कैसे भारत सरकार और मध्य प्रदेश की राज्य सरकार ने भगाया हत्यारे एंडरसन को :
किस तरह सरकारी अफसरों ने भोपाल से लेकर दिल्ली तक किस तरह देश से भाग जाने में मदद की।तीन दिसंबर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड के भोपाल प्लांट में जहरीली गैस लीक होने से हुई सैकडों लोगों की मौत के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन की मौत हो चुकी है। इस घटना के 30 साल बाद भी किसी भी कोर्ट में साबित नहीं हो पाया है कि एंडरसन को भारत से भागने में किन लोगों ने मदद की। इस घटना के आरोपियों की गवाही के आधार पर केंद्र सरकार से लेकर राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री और प्रमुख अफसरों को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। भोपाल में गैस रिसने के बाद एंडरसन हालात का जायजा लेने भोपाल आया था। इसके बाद उसे भोपाल में गिरफ्तार कर लिया गया।
जब इसकी सूचना अमेरिका को लगी तो उसने तत्कालीन सरकार पर दबाव बनाया और एंडरसन को मध्यप्रदेश के सरकारी विमान दिल्ली पहुंचाया गया और एयरपोर्ट के अंदर से ही उसे अमेरिका की फ्लाइट में बिठा दिया गया। मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने एक बार कहा था कि उनके ऊपर दिल्ली से एंडरसन को छोड़ने का बहुत ज्यादा दबाव था।
कैसे आया और कैसे गया एंडरसन
> 3 दिसंबर 1984 की रात भोपाल में यूनियन कार्बाइड कंपनी से जहरीली गैस का रिसाव हुआ। 15 हजार लोगों की मौत हुई। (सरकारी आंकड़ा 3787)
> यूनियन कार्बाइड और इसके सीईओ वारेन एंडरसन के खिलाफ लोगों में काफी गुस्सा था, 3 दिसंबर की शाम हनुमानगंज पुलिस थाने में केस दर्ज हुआ।
> डॉन कर्जमैन की बुक ‘किलिंग विंड’ के मुताबिक, एंडरसन अपने कुछ सहयोगियों के साथ 7 दिसंबर की सुबह 9.30 बजे इंडियन एयरलाइंस के विमान से भोपाल पहुंचा। एयरपोर्ट पर तत्कालीन एसपी स्वराज पुरी और डीएम मोती सिंह ने उसे रिसीव किया।
> सुबह करीब 11 बजे बजे भोपाल के एसपी और डीएम वारेन एंडरसन को एक सफेद एंबेसडर कार में यूनियन कार्बाइड के रेस्ट हाउस ले गए और वहीं उसे हिरासत में लिए जाने की जानकारी दी गई।
> दोपहर में सीएम अर्जुन सिंह मध्य प्रदेश में एक रैली को संबोधित कर रहे थे, तब एक फोन आया और एंडरसन को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया गया।
> दोपहर 3.30 बजे एंडरसन को भोपाल के एसपी ने बताया कि सरकार ने आपको दिल्ली भेजने के लिए विशेष विमान की व्यवस्था की है, जहां से आप अमरीका लौट सकते हैं।
> 25,000 रुपए का बॉन्ड और कुछ जरूरी कागजों पर साइन करने के बाद एंडरसन तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और राजीव गांधी की मदद से दिल्ली फिर अमेरिका के लिए उड़ गया। तत्कालीन एसपी स्वराज पुरी उसे छोड़ने स्टेट हैंगर गए।
> बॉन्ड में एंडरसन ने ट्रायल के दौरान कोर्ट में आने की बात कही थी, लेकिन वह कभी भारत नहीं लौटा। 9 फरवरी 1989 को सीजेएम कोर्ट ने एंडरसन के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया। उसे 1 फरवरी 1992 को भगोड़ा घोषित किया गया।
> 29 सितंबर 2014 को फ्लोरिडा (अमेरिका) के एक नर्सिंग होम में एंडरसन की मौत हो गई, जिसका एक महीने बाद खुलासा हुआ।
> एंडरसन की रिहाई और दिल्ली के लिए विशेष विमान उपलब्ध कराने की जांच के लिए 2010 में एक सदस्यीय जस्टिस एस. एल. कोचर आयोग का गठन किया गया।
> आयोग के सामने तत्कालीन एसपी स्वराज पुरी ने कहा कि एंडरसन की गिरफ्तारी के लिए ‘लिखित’ आदेश था, लेकिन रिहाई का आदेश ‘मौखिक’ था। यह आदेश वायरलेस सेट पर मिला था।
गैस त्रासदी को लेकर दिवंगत नेता सुषमा स्वराज ने लोकसभा में 12.08.2015 को एक भाषण दिया था। इस भाषण में उन्होंने भोपाल गैस त्रसादी का जिक्र किया था। सुषमा स्वराज ने लोकसभा में अपने भाषण पर पूर्व सीएम अर्जुन सिंह की लिखी एक किताब का जिक्र करते हुए इस घटना की सच्चाई बताई थी। सुषमा स्वराज ने कहा था- वारेन एडरसन भारत छोड़कर क्यों गया इसके पीछे राजीव गांधी का हाथ था। राजीव गांध का एक दोस्त आदिल शहरयार अमेरिका की एक जेल में 35 सालों के लिए बंद था। राजीव गांधी ने अपने दोस्त आदिल शहरयार को बचाने के लिए एंडरसन को छोड़ने का समझौता किया था। राजीव के इसी समझौते के बाद इस सदी की सबसे बड़े आरोपी को छोड़ दिया गया था।
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