पूरे देश में बाबा रामदेव के एलोपैथी पर दिए गए बयान को लेकर बहस चल रही है। बाबा रामदेव ने जो कहा उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के कहने पर उस बयान पर खेद भी जता दिया है.. बावजूद  इसके कुछ लोग बाबा रामदेव के बयान पर हो हल्ला मचा कर उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं। ये वो लोग हैं जो भूल गए हैं कि बाबा रामदेव ने योग और आयुर्वेद का प्रचार कर मानवता के लिए कितना बड़ा काम किया है। ये वो लोग हैं जो छिपकर बाबा रामदेव के बताए अनुलोम विलोम प्राणायाम करते हैं और सामने आने पर उनका विरोध करते हैं।


बात-बात पर भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करने वाले लोग भूल गए हैं कि बाबा रामदेव के पास भी बोलने की आजादी है, उन्हें भी हक है कि वे किसी की मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करें। आखिर इन लोगों से पूछा जाना चाहिए कि कोरोना को लेकर पहले रेमडेसीविर दवाई का इतना ज्यादा प्रचार किया गया लेकिन अब डब्ल्यूएचओ ने उस दवाई के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है आखिर एलोपैथी इस दवाई को लेकर एकमत राय क्यों नहीं रख पाई? अगर एलोपैथी बीमारी को समझने में इतनी ही सक्षम है तो पूरे साल भर देश में प्लाज्मा थेरेपी का हल्ला क्यों मचाया गया और फिर आखिरकार उसे बंद क्यों कर दिया गया? 


आखिर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को यह क्या हक है कि वह बाबा रामदेव की बोलने की आजादी पर पाबंदी लगाएं। बाबा रामदेव ने जो कहा उस पर उन्होंने खेद भी व्यक्त किया है यदि किसी का दिल दुखा हो , लेकिन इसके बावजूद रामदेव को निशाना बनाकर दरअसल सनातन धर्म और भगवा को निशाना बनाया जा रहा है, इन्हें चिढ़ है कि बाबा रामदेव भगवा पहन कर योगा , ऋषि मुनि , संत, गाय, तुलसी और आयुर्वेद का नाम क्यों लेते हैं? इन्हें आपत्ति रामदेव के इस बयान से नहीं है उन्हें आपत्ति रामदेव की उस विराट छवि से है जो सही अर्थों में सनातन धर्म के प्रतिष्ठित संस्कार और मूल्यों को आगे बढ़ाने का काम करती है।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.