लिबरल गिरोहों के महान पत्रकार रवीश कुमार पांडे ने फोटोग्राफर दानिश सिद्दीकी की हत्या पर फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी है । रवीश पांडे के दोगलेपन को जाहिर करती इस पोस्ट के हर शब्द से यह टपक रहा है कि रवीश कुमार पूरी तरह नफरती गोली खाकर एकतरफा काम करता है। अपनी इस फेसबुक पोस्ट में रवीश कुमार ने उस गोली को लानत भेजी है जो दानिश सिद्दीकी पर चली थी। रवीश कुमार ने गोली को लानत भेज कर इंसानियत पर जो एहसान किया है इसके बदले में उनकी जाति का ये एहसान मनुष्यता कभी नहीं भूलेगी…
रवीश कुकर कुमार से पूछा जाना चाहिए कि केवल गोली को ही क्यों? बंदूक की नली, ट्रिगर, गोली बनाने वाली फैक्ट्री, उसमें काम करने वाले मजदूरों सभी को लानत भेजकर मनुष्यता पर और एहसान क्यों नहीं करते हो..? नफरत की पत्रकारिता में लानत भेजने के लाल बादशाह रवीश कुमार की बड़ी नाक और छोटी आंखों में इतनी भी शर्म नहीं है कि किसी के जाने के बाद उसके लिए संवदेना तो सच्चाई से प्रकट कर दी जाए। रवीश कुमार बंदूक की गोली को लानत भेजते दिखे हैं आखिर क्यों बंदूक चलाने वाले रवीश को ‘तालिबान’ का नाम लेने में दिक्कत है?
दुनिया-जहान, मोदी, योगी, संघ, अमित शाह को लानत भेजने में माहिर रवीश कुमार किससे डरते हैं? नरेंद्र मोदी को फासिस्ट, तानाशाह, हिटलर बताने वाला लिबरल गैंग आखिर तालिबान से क्यों डर रहा है और उसका नाम लेने में इन लोगों की लंबी जीभ सिकुड़ कर छोटी क्यों हो जा रही है ? मानो ये सारा लिबरल गैंग दोगलई की कसम खाकर बैठा है कि तालिबानी आतंवाद, उसकी विचारधारा और तालीम के बारे में कुछ नहीं कहेंगे।
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