आज 26 नवम्बर की तारीख इतिहास में इस बात के लिए दर्ज़ हो चुकी है कि इसी दिन आज से कुछ वर्षों पहले , भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान ने , भारत पर किए और कराए गए अपने बहुत सारे कायराना आतंकी हमलों में से सबसे अधिक जघन्य हमला , देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में करवाया था। जब कट्टरता और जेहाद के नाम पर , कुछ वहशी हैवानों ने , एक हज़ार से भी अधिक लोगों को अपनी हैवानियत का शिकार बनाया था। ये तो भारत के लालों का ही जिगर था और है जिससे टकराकर दुशमन के ऐसे जाने कितने ही मंसूबों को हर बार और बार बार दफ़न होना पड़ता है।
लेकिन उन दिनों , अक्सर जो बात देखने सुनने और कहने को मिलती थी वो ये कि आखिर ये कैसा संयोग होता था कि , जब भी सत्तासीन कांग्रेस की सरकार और उनके लगुओं भगुओं द्वारा किए गए , हज़ारों लाखों करोड़ के घोटालों की पोल खुलती थी , उसका राज़ फाश होता था और आम लोग आक्रोशित होकर उसके बाद कांग्रेस और उसकी सरकार की लानत मलामत के लिए उद्धत होते थे , ठीक उन्हीं दिनों , उसके आसपास ही , देश के किसी न किसी कोने में , किसी न किसी शहर में , कहीं बस रेल होटल सिनेमा हॉल जैसे सार्वजनिक स्थानों पर आतंकवादी हमला होता था ?? और नतीजतन लोगों का सारा ध्यान उन घपलों घोटालों से हट कर आतंकी घटनाओं हमलों की तरफ मुड़ जाता था।
इसके बाद तत्कालीन सरकारें दो काम तुरंत कर देती थीं , एक घोटालों की जाँच के लिए किसी आयोग को बिठा कर सालों साल उसकी रिपोर्ट की प्रतीक्षा और दूसरा आतंकी घटना की कड़ी निंदा करके मुआवजे की घोषणा कर देना। बस ये दोनों रस्सियाँ पकड़ कर , इस खेल के तालमेल को दशकों तक इस तरह से खेला जाता रहा कि न तो तो आज तक उन आयोगों की रिपोर्ट पर किसी को कभी सज़ा हुई , घोटालों की अथाह धनराशि सरकारी खजाने में वापस आई और न ही उन सरकारों की कड़ी /मुलायम निंदा का रत्ती भर भी प्रभाव पड़ा।
अब इस बात पर भी गौर करना जरूरी है कि , वर्ष 2014 में भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के बाद न तो कोई घोटाला सामने आया और न ही किसी ऐसी आतंकी घटना को आतंकी अंजाम दे सके जिसमें आम नागरिकों को अपनी जान माल से हाथ धोना पड़ा। देश के सैनिकों पर हमला करने की कोशिश जरूर हुई और जिसका जवाब मोदी सरकार ने ऐसा दिया कि पड़ोसी पाकिस्तान की सारी हेकड़ी और हैवानियत धुआँ धुआँ हो गई। पूरी दुनिया ने नए भारत का तेवर और ताकत दोनों ही देख ली।
अब इस बात में कहाँ तक सच्चाई थी , या कौन सा इत्तेफाक था ये तो ईश्वर ही जाने लेकिन जिस तरह से मुंबई पर पाकिस्तानी जेहादियों द्वारा किए गए हमले और उसमें मुगलिया कट्टरों के हाथ होने के स्पष्ट प्रमाण होने के बावजूद भी काँग्रेस पाकिस्तान परस्तों के साथ मिल कर देश के बहुसंख्यक हिन्दू और सनातन समाज को ही आतंकी दिखाने बताने समझाने की कोशिश करती नज़र आई , या कहें की अब भी वही कर रही है -उसके बाद तो लोग कैसे न पूछें कि -घोटालों और उसके ठीक बाद आतंकी हमलों का -ये रिश्ता क्या कहलाता है ???
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