कुछ लोग होते ही मनहूस है,चाहे जितना कमा ले पहनेंगे फटा पुराना ही। चुकी मुझे पत्रिकारिता से ज्यादा लगाव है तो सोच रहा था की वो पत्रकारिता में कौन सा मनहूस चेहरा है। जो ऐसा करता है, तो फिर घूम फिर के वही मैक्सी पत्रकार का नाम आया,अरे वही लिब्रान्डुवो के भगवान रविश कुमार।
अब आप सोच रहे होंगे की ये आदमी तो मीडिया जगत में एक लॉबी का चहेता है तो मनहूस या गरीब कैसे हो सकता,वैसे आप सही सोच रहे है क्योंकि ये आदमी गरीब हो ही नही सकता लेकिन गरीब होने का नाटक जरूर करता है।अपने फेसबुक पे लंबा चौड़ा पोस्ट लिख कर ऐसे रोता है जैसे एन. डी. टीवी इसे पैसा न देता हो।
मैक्सी मैन के पोस्ट ऐसे होता है कि “मेरे पास इतने साल पुरानी गाड़ी है उसी से काम चलाता हु” मेरा घर बस रहने लायक है और छोटा है” और ढेरों तर्क देता है। अब आते है इनके लॉबी पे,अब वो कहेंगे की देश भक्त और सच्चा इंसान उतना नही कमा पता…..अबे दल्लो पहली बात की वो एक ऐसे लॉबी का चहेता है जो उसे सर चढ़ा के रखती है दूसरी बात उसकी खुद की कमाई लाखो की है और तीसरी बात उसकी बीवी भी कमाती है लाखो में।
मुझे याद है जब अर्नब गोस्वामी जेल जा रहे थे तो मैक्सी पतलचाट ने कहा था की ” मैं तो उनका आलीशान बंगला देख रहा था,कभी मौका मिलेगा तो उनके बालकनी में जाके चाय की चुस्की जरूर लूंगा”।
भाई दुसरो की क्यों देख रहे हो तुम्हारे घर के बगल में या फिर तुम्हारे आफिस के बगल में तुम्हारे चहेते प्रणय रॉय का बंगला होगा वहा जाके चाय की चुस्की लो ना,तुम्हारा महाराष्ट्र जाने का किराया भी बच जाएगा।
बाकी कुछ लोग होते है ऐसे,रविश कुमार का तो मैं ऐसे ही ट्रेन में चलते फिरते उदाहरण के तौर पर पेस कर दिया आपलोगो के सामने।आप गौर करिएगा आपके अगल बगल ऐसे बहुत से लोग होंगे।
ट्रेन में भोजपुरी गाना सुनते हुवे ये लिखना,आहा मजा आ गया,गाना है……. “जनती जे टिकुली पें सईया जी लुभाई जईहे”
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