भारत देश में इतिहास के साथ जिस तरह से छेड़छाड़ कम्युनिस्ट लोबी के द्वारा की गई है उसका दुष्परिणाम यह देश आज तक भुगत रहा है । अक्सर कम्युनिस्ट इतिहासकार जिन इमारतों को मुगल काल का अहंकार बताती हैं उस इमारत की नींव सनातन धर्म के मंदिरों पर बनी होती है । क्या आपने अढाई दिन का झोपड़ा के बारे में सुना है ? अढ़ाई दिन का झोपड़ा – कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे मात्र ढाई दिन में बनाया था, ऐसा हमने  सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई गई पुस्तक में पढ़ा। सोचिये २.५ दिन में  बन सकता है क्या ?


स्वास्त्विक और मूर्ति होने के बाद भी लोग इसे मस्जिद कहते है! इस अढ़ाई दिन के झोंपड़े पर कोई भी खुद देख सकता है, खिड़की पर स्वस्त्विक का निशान भी है, और आगे फिर मूर्तिया भी। दरअसल कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे ढाई दिन में बनाया नही था, बल्कि तौड़ा था! इस मंदिर में पुराना शिलालेख और श्लोक आदि आज भी है, जिससे इस मंदिर के विग्रहराज चौहान द्वारा बनाये जाने के पुख्ता प्रमाण है, वह शिलालेख आज भी इस मंदिर में है, लेकिन पिछली सरकारे पता नही, कौन सा नशा करके सोई है …कि उन्हें साफ-साफ बोल रहे यह स्वास्तिक के निशान दिखते नहीं हैं।


इसके अलावा इस देश में हजारों ऐसी ही इमारते हैं जो सनातन धर्म के मंदिरों को तोड़कर बनवाई गई हैं। यह सभी इमारते हैं कम्युनिस्ट इतिहासकारों द्वारा मुगलों की शान में चार चांद लगाती हैं मगर दरअसल इनका सच यह है कि यह सभी इमारतें हमारे मंदिर थे जिन्हें आक्रांता मुगलों ने तोड़ दिया थ।

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