देश में लगातार हिंदुओं के खिलाफ नफरत का माहौल बनाने की कोशिश हो रही है। कभी “सर तन से जुदा” गैंग देशभर में सक्रिय हो रहा है तो कभी भारत में ही हिंदुओं का बहिष्कार करने जैसी बातें कही जा रही है। लेकिन अब हिंदू जाग रहा है. यही कारण है कि चाहे अजमेर शरीफ दरगाह हो मुंबई की हाजी अली हो या फिर शिरडी हो हर जगह के चढ़ावे में कमी आयी है, हिंदुओं का वहां जाना ना के बराबर हो गया है.

दरअसल अजमेर दरगाह की अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने हाल ही में हिंदुओं का आर्थिक बहिष्कार करने की बात कहते हुए मुसलमानों को भड़काने का प्रयास किया। नूपुर शर्मा के बयान के समर्थन में हिंदू समाज द्वारा निकाले गए जुलूस के बाद सरवर चिश्ती ने हिंदू दुकानदारों को निशाने पर लेते हुए मुसलमानों से मांग की कि हिंदुओं से एक रुपये का भी धंधा मत करो और इन्हें तरसा दो। वहीं अजमेर शरीफ दरगाह के खादिमों के भड़काऊ और नफरती बयानों का असर दरगाह पर साफ दिखाई दे रहा है. दरगाह पर आने वाले लोगों की संख्या में भारी कमी देखी गई है। जहां पहले अजमेर की गलियों में भी भारी भीड़ हुआ करती थी वहां जुमे के दिन भी सन्नाटा पसरा हुआ दिखाई दिया। kreately मीडिया की टीम ने भी दरगाह के आस-पास के इलाकों का मुआयना किया, वहां के सन्नाटे को कैमरे में कैद किया.

एक रिपोर्ट के मुताबिक जहां अजमेर दरगाह में 90 फीसदी चढ़ावे में कमी आयी है तो कुछ वैसा ही हाल मुंबई के हाजी अली का भी है. हाजी अली के चढ़ावे में 40 फीसदी की कमी आयी है. तो शिरडी के चढ़ावे में 56 फीसदी की कमी बतायी जा रही है.

अजमेर दरगाह हो हाजी अली हो या फिर शिरडी इन जगहों को भाईचारे का प्रतीक माना जाता रहा है। बॉलीवुड सितारों से लेकर तमाम बड़े-बड़े राजनेता इन जगहों पर चादर चढ़ाने और सजदा करने के लिए के जाते थे. लेकिन जिन जगहों को अमन, शांति और सद्भाव की मिसाल माना जाता था उसकी हकीकत अब धीरे-धीरे सबके सामने आ गयी . दरगाह के खादिमों द्वारा हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए जा रहे हैं जिससे इन खादिमों के शराफत के चोले के पीछे छिपा उनका असली कट्टरपंथी चेहरा बेनकाब हो रहा है।

इसका असर उन लोगों पर ज्यादा पड़ा है जिनकी कमाई जिनका गुजारा वहां आने वाले हिंदुओं पर ही निर्भर था. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अब हिंदुओं ने ऐसे जगहों का बॉयकॉट करना शुरू कर दिया है.

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