रिंकू शर्मा, डॉक्टर गगन नारंग, रचित जाट जैसे हिंदुओं की घर में घुसकर मुस्लिमों के द्वारा हत्या कर दी जाती है और इक्के दुक्के राजनेताओं को छोड़कर पूरे देश की सियासी जमात के मुंह पर सांप सूंघ जाता है। बड़ा सवाल उठता है कि आखिर क्रूर हत्याओं के लिए इन कट्टर लोगों के पास इतना कॉन्फिडेंस कहां से आता है? आप सोचिए इतना कॉन्फिडेंस कि किसी के भी घर में घुस जाएं सरेआम कभी गोलियों से तो कभी खंजर से उसकी हत्या कर दें… यह कॉन्फिडेंस आता है प्रियंका वाड्रा, अरविंद केजरीवाल, उद्धव ठाकरे, अखिलेश यादव, योगेंद्र यादव, रवीश कुमार, अभिसार शर्मा , विनोद कापड़ी जैसे लोगों के चलते।

जी हां, इन्हीं लोगों के चलते इन क्रूर हत्याओं के प्रति मुस्लिम जमात का कॉन्फिडेंस बढ़ता है क्योंकि इन्हें यकीन होता है कि क्राइम करने के बाद इन लोगों के लिए वकीलों की फौज मुहैया यही गैंग करवाएगा, इन्हें कॉन्फिडेंस होता है कि यह किसी की भी हत्या कर दें मगर देश में यह राजनीतिक पार्टियां चुप्पी लगा कर बैठ जाएंगी, इन्हें कॉन्फिडेंस होता है कि ये कितना भी जघन्य अपराध कर दें इन्हें जेल में बिठाकर बिरयानी खिलाई जाएगी, इन्हें कॉन्फिडेंस होता है कि यह कितनी भी निर्दोष हिंदुओं की हत्या कर दें मगर बरखा दत्त जैसे लोग इन्हें गरीब मास्टर जी का बेटा बताने लग जाएंगे, इन्हें यकीन होता है कि यह कितनी भी निर्भया का बलात्कार कर दें मगर अरविंद केजरीवाल जैसे लोग इन्हें सिलाई मशीन बांटने लग जाएंगे।


तो यहां हमें सोचना होगा कि इन कट्टर हत्याओं में हाथ और शरीर दो शांतिप्रिय लोगों का इस्तेमाल होता है मगर इसके पीछे जो ताकत है वह अपने ही समाज में छिपे हुए लोगों की है यह वह लोग हैं जो हमारे बीच हम जैसे बनकर हमारे ही देश में रहते हैं।

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