1990 में कश्मीरी पंडितों के साथ हुए जिस नरसंहार का काला सच दशकों तक देशवासियों से छुपाया गया था, वो आखिरकार द कश्मीर फाइल्स फिल्म के जरिये सबके सामने आ गया. कश्मीर में उस वक्त के भयानक दौर को भारत के लोगों से कई दशकों तक छिपा कर रखा गया. जिस दर्द और पीड़ा को वहां रह रहे हमारे हिंदु भाई-बहनों से सालों तक छिपा कर रखा वो अब धीरे-धीरे सामने आने लगा है.
इस बीच धीरे-धीरे ये भी बात सामने आ रही है कि जितनी आज इस फिल्म से कुछ लोगों को परेशानी हो रही है वहीं कुछ ऐसे ही हालात 90 के दशक में भी थे. उस दौर में जो पलायन, जो बर्बरता हिंदुओं के साथ हुई उसे भुलाना आसान नहीं है. आज उन कश्मीरी पंडितों के दर्द को हर कोई महसूस कर रहा है. उस वक्त कश्मीर के हालात ऐसे थे कि अगर कोई गीतकार अपने गाने में कश्मीर शब्द का जिक्र भर कर देता तो उसे हटा दिया जाता था, जी हां सालों बाद महान गीतकार संतोष आनंद जी ने जो खुलासा किया है वो इसी तरफ इशारा करता है. दरअसल 90 के दशक में कश्मीर में आतंकवाद जिस तरह से अपने चरम पर था कि उनके गाने तक से कश्मीर का नाम हटा दिया गया था।
गीतकार और कवि संतोष आनंद प्रयागराज के कीडगंज में आयोजित ‘काव्य चकल्लस-2022’ के तहत हो रहे अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचे थे . इसी दौरान मीडिया के सामने उनका ये दर्द सामने आया . जहां उन्होंने बताया कि 1992 में सुपरहिट फिल्म ‘तहलका’ आई थी। इसका एक गाना था ‘दिल दीवाने का डोला दिलदार के लिए …’ इस गाने को संतोष आनंद ने ही लिखा था। उन्होंने बताया कि दरअसल आप लोगों ने जो लिन सुनी है वो ये थी ही नहीं. इस गाने के असली बोल थे , ‘दिल दीवानों का डोला कश्मीर के लिए..हर देशभक्त ये बोला कश्मीर के लिए..मेरा रंग दे बसंती चोला कश्मीर के लिए।’ और इस लाइन को गुनगुनाते ही उनकी आंखे डबडबा जाती है, भले ही वे उम्र के इस पड़ाव में हैं लेकिन कश्मीर के लिए गुनगुनाते हुए उनके चेहरे तेज गजब के थे.
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मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उस समय हालात इतने खराब थे कि कश्मीर का नाम लेना भी मुनासिब नहीं था। मेरे गाने को रोक दिया गया और इसकी न्यूज तक सामने नहीं आई। उन्होंने ये भी कहा कि वो एक राष्ट्रवादी विचारधारा वाले व्यक्ति हैं। वो कहते हैं कि कश्मीर में हुआ नरसंहार ऐसा सच है, जिसे न तो दबाया जा सकता है और न ही छुपाया जा सकता है।
ये तो सिर्फ एक कहानी है एक सच है जो अब सामने आया है. ऐसी न जाने कितनी कहानियां हैं जो हमसे छिपा कर रखी गई. वैसे हम एक बात जरुर कहेंगे कि एक बार Google कर के देखिए तब किसकी सरकार थी ?
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