जम्मू कश्मीर में जिस तरीके से नाम और पहचान पूछ कर बीते दिनों में खास धर्म के लोगों की हत्या की गई है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि कहीं कश्मीर में 1990 के दशक का वह खौफ जम्मू कश्मीर में कहीं वापस ना आ जाए।  बीते दिनों आतंकियों ने स्कूल में घुसकर सभी शिक्षकों को लाइन में खड़ा किया.. सभी से उनका नाम और पहचान पूछी और जो शिक्षक हिंदू व सिख थे उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।


जाहिर है यह वही लोग हैं जो लोग शाहीनबाग में ‘हम काग़ज़ नहीं दिखाएंगे’ चिल्ला रहे थे.. वही लोग कश्मीर में काग़ज़ देख- देखकर हिन्दुओं पर निशाना लगा रहे है… जिस तरीके से जम्मू कश्मीर में सुनियोजित तरीके से हत्या की जा रही है उसे देखते हुए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्यों किसी खास वर्ग और कम्युनिटी को ही निशाना बनाया जा रहा है। 


नाम और पहचान पूछ कर गोली मारना 1990 के दशक की याद दिलाता है जब मस्जिदों से ऐलान कर कश्मीरी पंडितों को गोलियों से भून कर मार दिया जाता था। आखिर क्यों सरकार के कश्मीर में विकास कदम के बाद यह सब चीजें तेजी से की जा रही है।

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