शाहीन बाग में जिस तरह से देश विरोधी नारे लगाए गए और चंद सुर्खियां पाने के लिए मोदी अंध विरोध का प्रपंच रचा गया उसी तर्ज पर सिंधु बॉर्डर के किसान आंदोलन के मंच को भी दूषित किया जा रहा है। खालिस्तान और पाकिस्तान के भाईचारे के आधार पर चल रहे इस आंदोलन के भयावह सच को देश की जनता समझती है और समझती ही नहीं है बखूबी समझती है।
अब इंटरनेट पर एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें बुर्का पहने हुए चंद बीवियां किसानों के मंच पर खड़ी हुई नजर आ रही है यह किसानों को उनके हक दिलाने की बात कर रही है मगर खुद इनका हक कहां है यह समझ नहीं आता। सिर से पैर तक काला टैंट पहने हुए ये ख़ातून किस किसान अधिकार की बात कर रही हैं जबकि स्वयं इनके पास ही अधिकार नहीं हैं। महज मंच से तस्वीर पाने के लिए काला बुर्का पहना कर इन्हें शाहीन बाग गैंग ने भेज दिया और ये चढ़ गईं किसान मंच पर, बिना ये सोचे हुए कि जिस तीन तलाक के बिल से इन्हें सांस लेने की फुर्सत मिली है उसे यही नरेंद्र मोदी लेकर आए हैं जिनके खिलाफ ये तस्वीर खिंचवाने के लिए मंच पर चढ़ गई हैं।
इन चंद बीवियों को यह समझना चाहिए यह पर्दा जिसमें यह ढकी हुई है वह इनके ऊपर पड़ा हुआ है देश की जनता की अक्ल पर नहीं क्योंकि देश की जनता सब जानती समझती है और इसका उचित जवाब आने वाले चुनावों में दे दिया जाएगा।
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