श्रीनगर में शाकाहारी ढाबा चलाने वाले आकाश मेहरा ने दम तोड़ दिया है। मुस्लिम आतंकियों (मुस्लिम जांबाज फोर्स) ने 17 फरवरी को उसे सिर्फ इसलिए घेरकर मारा क्योंकि उसका परिवार श्रीनगर  में शाकाहारी वैष्णव ढाबा चलाता है और बहुत लोकप्रिय है। इनके हिसाब से वहाँ कोई वैष्णव ढाबा नहीं होना चाहिए। 


दुनिया के कई समाजशास्त्रियों का दिया गया विश्लेषण और थ्योरी है कि जहां भी इस्लाम के अनुयायी 30% के ऊपर हुए वो अलगाव वाद की ज़हर उगलने लगते हैं। ये उनका सेट पैटर्न है। 40%  जनसँख्या पहुंचने के बाद ये अन्य सम्प्रदाय के लोगों के लिए अत्यंत खतरनाक हो जाते हैं।


कश्मीर में जो किया गया वो सबने देखा है। इस्लामी कट्टरपंथ का विरोध कोई भी मुस्लिम क्यों नहीं करता हुआ दिखता है जो खुद को उदारवादी कहता है?और बाकी के छ्द्म लिबरल्स की जुबान ऐसे मौकों पर क्यों जम जाती है?

आकाश मेहरा एक सीधा-साधा हिंदू परिवार का लड़का था जिसका दोष सिर्फ यह था कि वह श्रीनगर में रहकर एक शाकाहारी ढाबा चला रहा था और वह जन्म से हिंदू था उसे कट्टरपंथी समुदाय ने गोली का शिकार बना दिया।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.