वामपंथी जिहादी समूह भारत देश के खिलाफ मुहिम चलाना अपना अनैतिक फ़र्ज़ समझते हैं। 2014 के बाद जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं तभी से वामपंथी जिहादी गैंग कि हर मुहिम पर जनता की समझदारी का चाबुक लगाया जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी को नकार दिए जाने के बाद से यह लोग कभी हार्दिक पटेल तो कभी कन्हैया कुमार तो कभी चंद्रशेखर रावण जैसे नामों को चुनकर अपनी मुहिम चलाते हैं। इनकी इसी कोशिश के तहत अब इन्होंने शाहीन बाग के धरने पर बैठने वाली बिलकिस बानो को अपना पोस्टर बॉय चुना है।
बिलकिस बानो को वामपंथी इस्लामी पत्रकार राना अय्यूब की कोशिशों के चलते प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया गया है। यह वही बिलकिस बानो है जो रोज ₹500 लेकर और फ्री की बिरयानी खाने शाहीन बाग के धरने पर बैठा करती थीं। आखिर पूछा जाना चाहिए कि मोदी विरोध की अंधी नफरत में सजकर बिलकिस बानो ने क्या प्रभावशाली काम किया है जो उसे टाइम की 100 लोगों की सूची में शामिल किया गया है। देश के प्रधानमंत्री पर निजी टिप्पणी करने वाली बिलकिस बानो उस सीएए विरोधी धरने में बैठी हुई थी जिसका भारत की जनता से कुछ लेना देना नहीं है।
सीएए विरोधी इसी धरने का प्रभाव था कि दिल्ली शहर को दो दिनों तक दंगे की आग में जलाया गया और इसमें तकरीबन 56 लोगों की मौत हुई। यानी बिलकिस बानो और उसके जैसे नासमझ लोगों का यह प्रभाव माना जाना चाहिए कि इन धरनों के कारण दिल्ली दंगों में जली। तो क्या टाइम ने प्रभावशाली लोगों की सूची में बिलकिस बानो को दंगा करवाने के लिए शामिल किया है? सवाल पूछा जाना चाहिए कि बिलकिस बानो जिस धरने में शरीक हुई उसकी जानकारी तक उसे नहीं थी। बिलकिस को पता तक नहीं था कि CAA कानून है क्या औऱ वो बस फ्री की बिरयानी खाने वहां जाती थी। ऐसे में बिलकिस का क्या प्रभाव था जो उसे मैगजीन में जगह दी गई है।
जिहादी राणा अय्यूब बांटे रेवड़ी बिलकिस बानो को दे…कि तर्ज पर पूछा जाना चाहिए कि ऐसे तो दंगे में गिरफ्तार हुए उमर खालिद और ताहिर हुसैन को भी Time की सूची में जगह दिलवाई जा सकती है क्योंकि बिलकिस बानो ने जो काम किया है वो ही काम ताहिर हुसैन, सफूरा ज़रगर और उमर खालिद ने किया है।
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