(सत्य घटना)
(एक मित्र द्वारा बताई गई और देखी गई घटना)
हाल ही में कुछ अकाऊंटस/ऑडिट के काम से एक फिटनेस ट्रेनिंग अकॅडमी में गया था.

इस फिटनेस ट्रेनिंग अकॅडमी में प्रायतः जिम में आने वाले लोगों को फिटनेस ट्रेनिंग देना, वजन कम करने, या मसल्स बनाने के लिये ट्रेनिंग देना, डाइट प्लान बनाना आदी सिखाया जाता है.

ऐसी एकेडमी से सिखने वाले विद्यार्थीयों को किसी निजी अमेरिकी संस्थान का सर्टिफिकेट दिया जाता है और ऐसे सर्टिफिकेट प्राप्त विद्यार्थीयों को जिम में अच्छी खासी नोकरी भी मिल जाती हैं और काफी विद्यार्थी तो घर में निजी ट्रेनर के तौर पर भी काम करते है.

अकाऊंट देखते वक्त एक चौकानी वाली बातें सामने आयी.

इसमे पुरुष – एवं महिलाओंके लिये अलग अलग पाठ्यक्रम/कोर्स होते हैं. लेकीन विद्यार्थी कोई भी/या दोनो ही पाठ्यक्रम चुन सकते हैं. यहाँ तक तो सब ठीक था.

लेकिन जब गहराई में देखा, तो ये पाया के इसमे शिक्षा लेने वाले ज्यादातर विद्यार्थी शांतीप्रिय समाज से थे.

इससे भी चौकाने वाली वाली बात ये थी के इनमें से लगभग सभी शांतीप्रिय समाज के विद्यार्थी महिलाओं के लिये दी जाने वाली फिटनेस ट्रेनिंग का कोर्स कर रहे थे.

अब मेरे सामने प्रश्न ये था के जो समाज छोटी बच्ची से लेके अस्सी-नब्बे साल की बुढी अम्मा तक को बुरखे में रखता है, जो समाज औरतों को खेती समझता हैं, जो समाज मां, बहन, बेटी, बीबी, बहु, नातीन जैसे पवित्र रिश्तों को भी नहीं मानता, समझता और घर की औरतों की गोद हमेशा भरी हुई रखता है, उस समाज को अचानक से महीलांओ के स्वास्थ्य और फिटनेस में इतनी रुची कहां से पैदा हो गयी ?

जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैने इस अकॅडमी के मलिक से पुछा के सर ये क्या बात है, के इतने हिंदू बहुल इलाके में बसी आप की एकेडमी में इतने शांतिप्रिय लडके क्यूँ और कहां से आये ?

मालिक का जवाब सबसे ज्यादा चौकाने वाला था.

उन्होंने कहा के उसकी अकॅडमी मे ज्यादा तर मुस्लिम लडके ही आते हैं. वजह चार हैं

? १) एक तो इस कोर्स को करने के लिये ज्यादा पढा- लिखा होने की जरुरत नहीं होती

?२) दुसरा ये लडके यहाँ से सिखने के बाद किसी जिम मे सूबह या शाम की पार्ट टाईम नोकरी कर लेते हैं. जब सुबह की नर्म-सर्द हवाओमे हिंदू लडके बिस्तर में लेटे रहेते हैं ऊस वक्त ये जिम मे कसरत कर बॉडी बना रहे होते हैं

?३) तीसरा ये जिम में सीखने के बाद दस ग्यारह बजे तक फ्री हो जाते है और फिर दोपहर में कई जिम/फिटनेस सेंटर्स में सिर्फ महिलाओं के लिये स्पेशल ट्रेनिंग बैच होते हैं, इनमें ये दुसरी नोकरी बिलकुल कम पगार पर करते हैं, जिससे ये वहां आने वाली हिंदू महीलायें और लड़कियों से नजदिकियां बढा सके.

?४) और चौथा ये के आज कल कईं धर्म स्थलों, मदर्सो में शांतीप्रिय युवाओ को फिटनेस – बॉडी बनाना – मार्शल आर्ट्स आदी के पाठ पढाये जा रहे हैं.

ये सब काफी चौकानेवाला था …?

जहां बीस-तीस मीटर दौडने से अधिकतर हिंदू युवकों का धुआं निकल जाता हैं, वही ये शांतीप्रिय समुदाय फिटनेस और मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग ले कर चुस्त दुरुस्त हो रहा है.

इतना ही नहीं, जहाँ हिंदू युवक सिर्फ परमानेंट नौकरी की लालसा में बेरोजगार घुम रहा है वही ये लोग उन सारे छोटे मोटे कारोबारो में शिरकत कर रहे हैं जो कभी हिंदूओं के हुआ करते थे.

इसमें भी इन शांती प्रिय लोगों की घुसपैठ उन कारोबरों में ज्यादा हैं जहाँ हिंदू औरतो का ज्यादा आना जाना होता हैं, जैसे के फल, फुल और सब्जी बेचना, दर्जी और लेडीज टेलर, साडी, ड्रेस मटेरियल, लेडीज कपडे बेचना, लेडीज अंडरगार्मेंट्स के दुकान, लेडीज कॉस्मेटिक्स, मेकअप मटेरियल के दुकान, युनिसेक्स ब्युटी पार्लर, जिम और फिटनेस सेंटर्स जहाँ लडकिया/महिलाए जाती हों, गर्ल्स स्कूल/कॉलेज के आसपास छोटी मोटी दुकाने, इन सब में आजकल शांती प्रिय समुदाय भारी मात्रा में शिरकत कर रहे हैं…

✅ अगर हिंदू आज नहीं सुधरा तो आनेवाला भविष्य सच में बडा मुश्किल होनेवाला हैं…!

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