जिस तीस्ता के झूठ ,षड्यंत्र, मक्कारी, गद्दारी , की चर्चा सर्वोच्च न्यायालय ने मोदी जी को गुजरात दंगों से पूर्णतः बरी करने वाले अपने जजमेंट में की है और जिसे गुजरात ATS ने आखिरकार गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचाकर करोड़ों देशभक्त law abidibg नागरिकों के कलेजे को ठंडक दी है, आइए उस अंतराष्ट्रीय भारत विरोधी टूलकिट की भारतीय एजेंट तीस्ता सीतलवाड़ के बारे में कुछ और जानें!

तीस्ता सीतलवाड़ एक ऐसे गुजराती परिवार से संबंध रखती है जो ऐतिहासिक रूप से खुले तौर पर अंग्रेजी शासन के भक्त हुआ करता था। बृजलाल, हीरालाल सीतलवाड़ जैसे ब्रिटिश शासन के वफादार खानदान के इनके परदादा चिमनलाल सीतलवाड़ तो उस कुख्यात हंटर कमीशन के अंग्रेज नामित सदस्य थे जिसने जलियांवाला बाग नरसंहार के दोषी जनरल डायर को क्लीन चिट दे दी थी। इनके दादा MC सीतलवाड़ को शायद अपने जेनेटिक भारत विरोध के एडवांटेज के कारण ही प्रथम महान्यायवादी यानि अटॉर्नी जनरल नेहरू जी की सरकार ने बना दिया था।
कुछ तो जीन का असर होता ही है। सो, पत्रकार बनते हुए भी तीस्ता ने भारत विरोध और फिर हिंदू विरोध का रास्ता अपना लिया।
अपने “खोज” अभियान में तीस्ता ने 1997 में ही स्कूल के पाठ्यक्रमों से चुन चुन कर भारतीय संस्कृति और हिंदू प्रतीकों को निकलवाने का काम शुरू कर दिया था। Communalism combat पत्रिका अपने पति जावेद के साथ निकाल कर स्पष्ट रूप से अल्पसंख्यक तुष्टिकरण और हिंदू विरोध का अपने राजनीतिक आकाओं के एजेंडे को आगे बढ़ाने लगी। गोधरा कारसेवक नरसंहार 2002 के बाद हुए दुर्भाग्य पूर्ण गुजरात दंगों के बाद तो इसे जैसे अपने कुचक्र को बढ़ाने का और सुनहरा अवसर ही मिल गया। Citizen For Justice & Peace नामक NGO कई अन्य sickulars के साथ बना कर और फिर अपने पति जावेद के कुख्यात NGO सबरंग के माध्यम से इस झूठी प्रवृत्ति की शातिर ने भारत विरोधी विदेशी ताकतों से खूब चंदा इकट्ठा किया, मोदी, गुजरात की जनता और भारत की खुलेआम बदनामी की, खिल्ली उड़ाई । अमेरिकी कांग्रेस के एक मानवाधिकार समिति के समक्ष मोदी और भारत के विरोध में गवाही तक दे डाली 2002 में। भारतीय कानून FCRA का ढिठाई से उल्लंघन करते हुए विदेशों से दंगा पीड़ितों के नाम पर प्राप्त धन का दुरुपयोग करते हुए अपनी विलासी जीवन के साधन जुटाए, लिपस्टिक, दारू की बोतले खरीदी।
फिर कई दंगा पीड़ितों को उकसा कर, बरगला कर मोदी जी और गुजरात सरकार के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कराए, अपने NGO के माध्यम से झूठे हलफनामे पेश किए, झूठे गवाह बनाए। इन सबका पर्दाफाश अब सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट में अंततः हो गया है।
ऐसे झूठ का एक वामी – कौमी इकोसिस्टम बना कर दंगा पीड़ितों की भावनाओं को राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर पर बेचती रही और लगातार मोदी जी और भारत को बदनाम करती रही। बेस्ट बेकरी केस में एक कथित पीड़ित जाहिरा शेख का मामला तो सबको याद ही होगा इस संदर्भ में। आखिरकार उस कथित पीड़ित जाहिरा शेख ने खुले तौर पर कहा था की उसने तीस्ता के उकसावे में आकर ही झूठे आरोप लगाए थे और ये भी कहा था कि उसके नाम से पैसे बटोर कर तीस्ता ने खूब मौज मस्ती की थी।

दुर्भाग्य वश, इस शातिर ठग और गद्दार को तत्कालीन सरकारों का भी संरक्षण मिलता रहा। तभी तो UPA शासन के दौरान गठित extra constitutional परंतु अत्यंत शक्तिशाली बॉडी National Advisory Council , जो की वामियों कौमियों का अड्डा बन चुका था, में तीस्ता को भी शामिल कर लिया गया था। इतना ही नहीं, इस विवादित व्यक्ति को पद्मश्री से भी सम्मानित कर दिया गया। फिर तो इसके हौसले बुलंद होने ही थे।
इसी देशविरोधी इकोसिस्टम के कारण गुजरात दंगों पर मुकदमों पर सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में SIT गठित कर सारे मामले गुजरात से बाहर मुंबई में ट्रांसफर करने का विचित्र फैसला लिया। यह अब निश्चित था की ये सब मोदी जी की लोकप्रियता और उनके राष्ट्रीय राजनीति में अवश्यंभावी पदार्पण को रोकने का प्रयास मात्र था।

लेकिन अंततः सच्चाई सामने आई, नैसर्गिक न्याय हो गया।सर्वोच्च न्यायालय ने दंगों के कृत्रिम और manufactured धब्बों से मोदी जी को पूर्णतः मुक्त कर दिया। इतना ही नहीं, इस पूरे मुकदमेबाजी को एक षड्यंत्र मानते हुए षड्यंत्र कारियों विस्तृत जांच की आवश्यकता भी बताई ।
आज भी तीस्ता सीतलवाड़ जैसे अनगिनत गद्दार और षड्यंत्र कारी देश को बदनाम करने में लगे हैं। PUCL, PUDR, PUHR, एमनेस्टी और अनेकानेक कथित NGO विदेशी ताकतों की शह पर उनसे पैसे प्राप्त कर इस कुचक्र को रच रहे हैं। तीस्ता के साथ साथ उन सबका पर्दाफाश और हिसाब होना ही चाहिए। भारत विरोधी समस्त toolkit को पहचानें, उनके इकोसिस्टम को ध्वस्त करें। गुजरात देंगे वाले फर्जी केस में शामिल अन्य षड्यंत्रकारियों की भी जांच हो। हमे ये नहीं भूलना चाहिए की तीस्ता ने जिस NGO Citizens For Justice & Peace 2002 में बना कर अपने षड्यंत्र रचे उसमे जावेद अख्तर, राहुल बोस, सेडरिक प्रकाश, हर्ष मंदर, अनिल धरकार,सिद्धार्थ वरदराजन जैसे भी उसके सहयोगी रह चुके हैं।

और हां, टाइम मैगजीन, इंडिया टुडे, आउटलुक जैसे उन मीडिया समूहों को सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए जिन्होंने इसी षड्यंत्रकारी मोदी विरोधी अभियान के आधार पर अपनी कवर स्टोरी छापी , गुजरात को, भारत को , मोदी को अपमानित किया, बदनाम किया।

अब देश toolkit से नहीं देशहित से गवर्न होता है, ये सबको ध्यान रखना चाहिए।

साभार – प्रणय कुमार

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